बरगद: सबसे ज्यादा ऑक्सीजन उत्सर्जित करने वाला यह वृक्ष औषधीय गुणों से है भरपूर, जानिए... इस राष्ट्रीय वृक्ष की खासियत
Banyan tree बरगद वृक्ष सबसे ज्यादा ऑक्सीजन उत्सर्जित करता है। इस वृक्ष में काफी मात्रा में औषधीय गुण पाए जाते हैं। इसे राष्ट्रीय वृक्ष का दर्जा प्राप्त है। वट सावित्री पूजा के दिन इसी वृक्ष की पूजा होती है।
संवाद सूत्र, बरियारपुर (मुंगेर)। राह चलते चलते हमें कई बड़े बड़े वृक्ष मिल जाते हैं। लेकिन इन सब में बरगद का पेड़ सबसे अलग होता है। इसका वैज्ञानिक नाम फाइकस बेंगालेंसिस है। लेकिन बरगद का पेड़ अन्य पेड़ों से अलग होता है। यह पेड़ लंबे समय तक टिका रहता है। इसकी विशेषता यह है कि पतझड़ और सूखा का मौसम आने के बावजूद भी यह पेड़ सदा हरा भरा रहता है और सदैव बढ़ता रहता है।
यही कारण है कि इसे राष्ट्रीय वृक्ष का दर्जा प्राप्त है। धार्मिक तौर पर यह भारत में पूजनीय है। लेकिन अपने औषधीय गुणों के कारण कई शारीरिक समस्याओं को दूर करने में भी सहायक होता है। बरगद के बीज से इनके पौधे नहीं उगते हैं बल्कि पक्षियों के द्वारा इन के बीज को खाए जाने के बाद उनके विस्टा से पौधे उगते हैं। इनकी एक विशेषता यह भी है कि दूसरे पौधों के अलावे बरगद सबसे ज्यादा ऑक्सीजन उत्सर्जित करता है ।गांव में बरगद के पेड़ अब कम पाए जाते हैं। लेकिन इसके लाभ को ग्रामीण जानते हैं। इसमें लगने वाले बीजों को जब चिड़िया खाने आते हैं। तब उनके साथ चिड़िया कीट पतंगों को भी खा जाते हैं। जिससे जीवन चक्र संतुलित बना रहता है ।
बोले चिकित्सक
इस संबंध में होम्योपैथिक चिकित्सक डॉ. राकेश मोहन ने बताया कि बरगद पैड़ के जड़ एवं पत्तों के अलावे इनके बीजों से भी आर्युवेदिक दवा बनाई जाती है। लेकिन इसका इस्तेमाल आर्युवेदिक चिकित्सक की सलाह पर ही करना चाहिए। उन्होंने बताया इसके कई फायदे हैं। यह दांत और मसूड़ों को स्वस्थ रखता है ।मनुष्य के प्रतिरोधक क्षमता में सुधार लाता है ।बवासीर रोग में यह राहत दिलाता है। इसके अलावा डायबिटीज को दूर करने में भी बरगद के पेड़ के उत्पाद मददगार साबित होते हैं। डिप्रेशन में सहायक है। वही डायरिया में भी यह लोगों के लिए लाभदायक है। बांझपन और नपुंसकता के अलावे जोड़ों के दर्द में भी लाभदायक बरगद के पेड़ होते हैं ।
बोले पर्यावरणविद
समाजसेवी सह पर्यावरणविद किशोर जयसवाल ने इस संबंध में पूछे जाने पर बताया कि बरगद जल और भूमि संरक्षण के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। इसके जड़ों की गहराई और बड़े केनाय (छाया) के कारण यह महत्वपूर्ण हो जाता है ।ओलावृष्टि के समय किसानों के लिए यह जबरदस्त रक्षक की भूमिका निभाता है। यही कारण है कि परंपरा के अनुसार खेत खलियान में पूर्व में बरगद के वृक्ष लगाए जाते थे। इसके अलावा बरगद में बायोडायवर्सिटी रहती है। 87 प्रतिशत चिड़िया इसी बड़े वृक्ष पर निवास करती है। उनका कहना है कि मनोवैज्ञानिक रूप से भी बरगद के पेड़ सहायक होते हैं ।पुराने जमाने में पंचायत बरगद के पेड़ के नीचे ही किए जाते थे। जिससे कि उचित न्याय मिलने में मदद मिलती थी। ज्यादा दूर तक भूमि पर छाए रहने के कारण लोग इसे काट देते हैं जो कि बहुत ही गलत है।