पर्यटन विभाग के नक्‍शे पर दिखेगा बांका का चंदन डैम और घटवे नाथ मंदिर, दूर-दराज से यहां पहुंते हैं लोग

बांका का चंदन डैम और घटवे नाथ मंदिर अब पर्यटन विभाग की वेबसाइट पर दिखेगा। यहां पर दूर-दराज से लोग पहुंचते हैं। उनकी सुविधाओं को देखते हुए पर्यटन विभाग ने इसे शामिल किया है। अब इससे लोगों को...!

By Abhishek KumarEdited By: Publish:Sun, 25 Jul 2021 03:45 PM (IST) Updated:Sun, 25 Jul 2021 03:45 PM (IST)
पर्यटन विभाग के नक्‍शे पर दिखेगा बांका का चंदन डैम और घटवे नाथ मंदिर, दूर-दराज से यहां पहुंते हैं लोग
बांका का चंदन डैम और घटवे नाथ मंदिर अब पर्यटन विभाग की वेबसाइट पर दिखेगा।

संवाद सूत्र, जयपुर (बांका)। बांका के चंदन तट पर स्थित घटवे नाथ मंदिर पर्यटन स्थल के रूप में विकसित होगा। मंदिर विकास समिति ने मंदिर का निर्माण कराया है। पहले बरगद के नीचे पूजा होती थी। कधार चंदन नदी तट पर पर्यटकों को खूब लुभा रहा है। सावन को छोड़ हर सोमवार और शुक्रवार को श्रद्धालुओं का यहां तांता लगा रहता है। यहां पाठा बलि की प्रथा बढ़ी है।

नए पर्यटन स्थल के रूप में घटवे नाथ :

पर्यटन को एक उद्योग के रूप में विकसित करने के लिए पर्यटन मंत्री ने विशेष पहल शुरू की है। इसके लिए जिलाधिकारी से नए पर्यटन केंद्र को चिन्हित कर सूची मांगी है। जिसके आधार पर पर्यटन विभाग की वेबसाइट को जिलावार अपडेट किया जाएगा। इसके साथ ही पुराने पर्यटन केंद्रों को नया लुक देकर विकसित किया जाएगा।

लक्ष्मीपुर राजा ने की थी घटवे नाथ की स्थापना :

18वीं सदी के राजा ठाकुर प्रताप नारायण देव सिंह प्रसिद्ध तांत्रिक भी थे। लक्ष्मीपुर में बने काली मंदिर में नरबलि देकर उन्होंने तांत्रिक सिद्धि की थी। एक बार अपने लाव लश्कर हाथी घोड़ा के साथ बाबा बैजनाथ धाम जाने के दौरान चंदन नदी में बाढ़ आ गई थी। नुकसान की संभावनाओं को देखते हुए नदी पार करने के पूर्व उन्होंने नदी के किनारे बलि देकर घटवेनाथ आराधना कर नदी पार किया था। और तभी से घटवेनाथ शक्तिपीठ के नाम से प्रसिद्ध हो गया।पुजारी भिखारी राय एवं पंचानंद यादव ने बताया कि मन मांगी मुराद पूरी होने के बाद लोग बलि चढ़ाने आते हैं। अब इसकी ख्याति अन्य प्रदेशों तक पहुंच चुकी है।

प्रभारी जिला पर्यटन पदाधिकारी महफूज आलम ने कहा कि पत्र अभी नहीं मिला है। लेकिन बांका में पर्यटन की काफी संभावनाएं हैं। पर्यटन स्थलों की जानकारी अपडेट की जा रही है।

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