Bihar: कर दी गई विनोबा भावे के सपनों की नीलामी! लूट-खसोट के खेल में भूदान आंदोलन की गवाह जमीन की रजिस्ट्री

आजादी के बाद विनोबा भावे ने देशभर में भूदान आंदोलन चलाया था। इसी आंदोलन के तहत वे 1952 बिहार के पूर्णिया जिले पहुंचे। यहां उन्हें भूदान किया गया। लेकिन अब उनकी जमीन की रजिस्ट्री कर दी गई। लूट-खसोट के खेल में गलती की बात की जा रही है।

By Shivam BajpaiEdited By: Publish:Wed, 04 Aug 2021 09:43 PM (IST) Updated:Wed, 04 Aug 2021 09:59 PM (IST)
Bihar: कर दी गई विनोबा भावे के सपनों की नीलामी! लूट-खसोट के खेल में भूदान आंदोलन की गवाह जमीन की रजिस्ट्री
विनोबा भावे को भूदान की गई जमीन को बेचा गया।

राजीव कुमार, पूर्णिया। पूर्णिया निबंधन कार्यालय में लूट किस कदर मची है इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि यहां विनोबा भावे की सपनों की भी सहायक रजिस्ट्रार ने रजिस्ट्री कर दी। निबंधन कार्यालय ने भूदान की 9 कट्टा डेढ़ धूर जमीन का निबंधन 4 नवम्बर 2020 को आंख मूंदकर कर दिया। यह भूदान की वह जमीन है, जिसे लेने के लिए बैलोरी के अनूप लाल यादव के दरवाजे पर विनोबा भावे खुदे आए थे और 1952 में उन्हें लगभग दो एकड़ जमीन अनूप लाल यादव ने भूदान में दान दिया था।

भारत की आजादी के बाद विनोबा भावे ने जिस भूदान आंदोलन की नींव रखी, जिस आंदोलन ने उन्हें ख्याति प्रदान की। उस आंदोलन की गवाह बिहार के पूर्णिया में गलत तरीके से रजिस्ट्री कर दी गई। दरअसल, 1954 में भूदान की इस जमीन को जन्तरी ऋषि पिता अगहनु ऋषि को दे दिया गया। जयन्तरी ऋषि को दो एकड़ 51 डिसमिल जमीन भूदान में दान की गयी। लेकिन भूदान में मिली इस जमीन को जंयन्तरी ऋषि के तीन पुत्रों श्याम ऋषि, शंभू ऋषि एवं रंभू ऋषि ने शुभम कुमार पिता संजीव कुमार यादव दादी इन्द्रा देवी को बेच डाली।

हद तो यह है कि भूदान की इस जमीन का ना केवल आसानी से निबंधन हो गया बल्कि इसका अंचल से मोटेशन भी हो गया। निबंधन के कागजातों के अनुसार भूदान की 9 कट्टा डेढ़ धूर इस जमीन की खरीददारी 37 लाख 25 हजार में की गयी। भूदान की यह जमीन श्रीराम टोला मौजा बैलोरी नगर निगम पूर्णिया थाना नंबर 107 और वार्ड 42 में है।

पूर्णिया में रजिस्ट्रार ने कर दी विनोवा के सपनों की रजिस्ट्री

-9 कट्टा डेढ़ धूर भूदान की जमीन का 37. 25 लाख में हुआ निबंधन -पूर्णिया निबंधन कार्यालय में 4 नवम्बर 2020 को भूदान की जमीन का हुआ निबंधन - सीओ ने कर्मचारी की रिपोर्ट आने के बाद भूदान की जमीन का किया मोटेशन - मोटी रकम लेकर कर्मचारी एवं सीआइ महेन्द्र विश्वास ने जमीन के मोटेशन के संबंध में भेजी रिपोर्ट

 भूदान की जमीन का निबंधन चार नवम्बर को होने के बाद 12 दिसम्बर 2020 को इस जमीन के मोटेशन के लिए आवेदन दिया गया। इस भूदान जमीन की जांच कर्मचारी एवं सीआइ महेन्द्र विश्वास ने करते हुए 27 मई 2021 को जमीन को सही बताते हुए रिपोर्ट अंचल अंधिकारी को भेज दी। जिसके बाद 2 अगस्त को पूर्णिया पूर्व के अंचल अधिकारी जंयत कुमार गौतम ने इस भूदान की जमीन का जमाबंदी खोलते हुए मोटेशन कर दिया। मोटेशन होते ही दानकर्ता अनूप लाल यादव के पोते दिलीप कुमार यादव ने इस मामले में लिखित रूप से जिले के वरीय अधिकारियों के पास शिकायत की।

जिसके बाद पूर्णिया पूर्व के अंचल अधिकारी की नींद टूटी और अंचल प्रशासन हरकत में आया। अंचल अधिकारी जंयत कुमार गौतम ने तत्काल इस मामले में कर्मचारी एवं सीआइ महेन्द्र विश्वास से 24 घंटे के अंदर इस बात का स्पष्टीकरण देने को कहा की जब जमीन भूदान की थी तो फिर उसे रैयती जमीन कैसे बता दिया गया। अंचल अधिकारी ने भी माना की यह मोटेशन गलत हो गया है इसे रद्द करने की कार्रवाई की जा रही है।

'गलती से भूदान की जमीन का मोटेशन हो गया है इस सबंध में जिस कर्मचारी और सीआइ ने रिपोर्ट भेजी थी उससे 24 घंटे के अंदर सप्ष्टीकरण मांगा गया है, जमीन के मोटेशन को तत्काल रद्द करते हुए इस जमीन पर अतिक्रमण वाद दायर करते हुए इसे मुक्त कराया जाएगा और इस जमीन को मुक्त कराकर सरकारी कब्जे में लिया जाएगा।'- जयंत कुमार गौतम अंचल अधिकारी पूर्णिया पूर्व

कर्मचारी एवं सीआई की भूमिका संदिग्ध

भूदान की जमीन मोटेशन मामले में पूर्णिया पूर्व के सीआई एवं कर्मचारी महेन्द्र प्रसाद विश्वास की भूमिका सवालों के घेरे में है। बताया जाता है की जब जमीन का निबंधन हुआ तो भूदानी के पोते ने कर्मचारी सह सीआई को कई बार लिखित रूप से सूचना दी की भूदान की जमीन का निबंधन हो गया है लेकिन हर बार सीआई सह कर्मचारी महेन्द्र विश्वास इस बात का भरोसा दिलाते रहे की निबंधन भले हो गया हैं। भूदान के इस जमीन का निबंधन नहीं होगा।

मगर इसके बाद भी पैसे के बल पर इस जमीन का निबंधन कर दिया गया। भूदान की इस जमीन का हाल यह है की भले ही इस जमीन का मोटेशन दो अगस्त को हुआ हो लेकिन जमीन की खरीददारी करने वाले ने इस जमीन की ना केवल घेराबंदी कर कब्जा जमा लिया है बल्कि ऊंची घेराबंदी कर इसमें मखाना फोड़ी का कार्य कराया जा रहा है।

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