Oh it's Alive: भागलपुर में दफनाने के समय बच्चा को हो गया जिंदा, कुछ पल के लिए लौटी खुशियां, लेकिन फिर
भागलपुर में दफनाने के समय बच्चा के जिंदा हो जाने की सूचना मिली है। स्वजनों को कुछ पल के लिए खुशियां लौटी। चिकित्सक ने नवजात को मृत कहकर लौटा दिया था। मिट्टी देने के समय बच्चा था जीवित लेकिन बाद में मौत हो गई।
संवाद सूत्र, सन्हौला (भागलपुर)। भागलपुर के सन्हौला बाजार के एक निजी क्लीनिक से नवजात को यह कहकर लौटा दिया कि बच्चा मृत है। लेकिन जब बच्चे को मिट्टी देने गया तो अहसास हुआ कि बच्चा जीवित है। बच्चा जिंदा होने का जैसे ही स्वजनों को अहसास हुआ, भी खुश हो गए। आनन-फानन में उसे तुरंत डाक्टर के यहां ले जाने की तैयारी की गई। पुन: बच्चे को निजी क्लीनिक लाया गया लेकिन स्थिति बेहद गंभीर था, जिस कारण बच्चे को ऑक्सीजन लगाकर भागलपुर भेज दिया गया। लेकिन बच्चे की मौत रास्ते मे हो गई। खुशी का यह क्षण कुछ ही देर में समाप्त हो गया। पुन: नवजात को उसी जगह दफना दिया गया।
जानकारी के मुताबिक बांका जिला के काठबनगांव वासी मु आलमगीर की पुत्री को घर पर ही नार्मल डिलेवरी हुई। लेकिन बच्चे की स्थिति बेहद गंभीर होने के कारण बच्चे को एक निजी क्लीनिक में ले जाया गया, लेकिन बच्चे की स्थिति काफी गंभीर थी, डॉक्टर ने परिजनों को बताया कि बच्चे की मौत हो गयी है, घर वाले भी बच्चे की हालत से पहले ही आश्वत हो गया था कि बच्चा जीवित नहीं है, परिजन जब मिट्टी देने ले गए तो उन्हें एहसास हुआ कि बच्चा जीवित है। पुन: बच्चा को लेकर डॉक्टर के पास ले गया, डॉक्टर ने आक्सीजन लगाकर बच्चे को भागलपुर ले जाने की सलाह दी। भागलपुर में एक निजी डॉक्टर ने बताया कि बच्चे की मौत रास्ते में हो गयी है।
सदर अस्पताल में गर्भवती को नहीं किया भर्ती, जाना पड़ा क्लीनिक
सदर अस्पताल भागलपुर में प्रसव करवाने आई महिला को भर्ती नहीं किया गया। नर्स ने कहा कि अभी डाक्टर नहीं हैं। मजबूरन उसे क्लीनिक जाना पड़ा। वाकया बुधवार को करीब दो बजे लोदीपुर की एक महिला के साथ हुआ। नर्स ने उनसे कहा कि सिजेरियन होगा तो परेशानी हो सकती है। अभी कोई डाक्टर भी नहीं हैं।