Amazing: यहां कोसी के पानी का रंग बताता है बाढ़ का खतरा, लाल पानी देखते ही लोग छोड़ देते हैं अपना घर

कोसी के पानी का रंग देख कर लोग बाढ़ को लेकर अलर्ट हो जाते हैं। अगर पानी का रंग लाल हो जाता है तो तटबंध के अंदर बसे लोग अपना सामान और मवेशी को लेकर उंचे स्‍थानों की ओर चले जाते हैं।

By Abhishek KumarEdited By: Publish:Sat, 12 Jun 2021 03:26 PM (IST) Updated:Sat, 12 Jun 2021 03:26 PM (IST)
Amazing: यहां कोसी के पानी का रंग बताता है बाढ़ का खतरा, लाल पानी देखते ही लोग छोड़ देते हैं अपना घर
कोसी के पानी का रंग देख कर लोग बाढ़ को लेकर अलर्ट हो जाते हैं।

सुपौल [भरत कुमार झा]। कोसी के इलाके में लोग पानी का रंग देखकर बाढ़ आने का अंदाजा लगा लेते हैं। कोसी में जैसे ही लाल पानी उतरता है लोग सचेत हो जाते हैं। जानकारों की राय में यह पानी इस बात का संकेत होता है कि इस मौसम का यह पहला पानी है जो हिमालय से उतर गया। पानी का रंग बदलते ही लोग बाढ़ से सुरक्षा की तैयारी शुरू कर देते हैं। लाल पानी का उतरना तटबंध के अंदर के गांवों में एक अजीब सी परिस्थिति पैदा कर देता है।

जब कोसी दिखाती आंख

लाल पानी का एक संदर्भ कोसी के लोग कोसी के आंख लाल होने से लगाते हैं। यहां के लोगों का मानना है जब हमलोग लाल पानी देख लेते हैं तो मान बैठते हैं कि अब कोसी ने आंख दिखाना शुरू कर दिया है। कोसी में लाल पानी मई के अंतिम और जून के प्रथम सप्ताह के बीच अमूमन उतर जाता है। लाल पानी के उतरते ही लोगों में बाढ़ का भय समाने लगता है।

साफ दिखता पानी तो स्थिर मानी जाती कोसी

जब पानी बिल्कुल साफ दिखाई देता है तो लोग निङ्क्षश्चत होते हैं कि कोसी अभी स्थिर है। पानी का रंग जब बिल्कुल ही मटमैला होता है और उसकी गति सामान्य से कुछ तेज रहती है तो लोगों को आभास हो जाता है कि पीछे कहीं किसी गांव को काट रही है कोसी या फिर इसके लक्षण ठीक नहीं लगते।

कोसी रंग से ही पहचानी जाती है कि उसका रूप कैसा होगा। प्रारंभिक दौर में ललपनिया, रौद्र रूप में मटमैला जो उसके गुस्से को दर्शाता है और सौम्य रूप में शांत, निर्मल और स्वच्छ दिखती है कोसी।

-भगवानजी पाठक, जल विशेषज्ञ एवं संयोजक, कोसी कंसोर्टियम

कहते हैं कोसीवासी

हमें तो पानी के साथ ही जीना है और पानी के साथ ही मरना है। इसीलिए नदी के सभी लक्षणों को हम अपने अनुभव से भांप लेते हैं। कोसी में जैसे लाल पानी उतरता है तो हम मान लेते हैं कि यह नया पानी है जो हिमालय से उतर रहा है। साफ पानी नदी की स्थिरता को दर्शाता है लेकिन जब पानी मटमैला दिखने लगता है तो हम सतर्क हो जाते हैं कि नदी पीछे किसी गांव को काट रही है।

सरायगढ़ प्रखंड के ढोली निवासी संतोष ङ्क्षसह

पानी में बहकर जब लकडिय़ां आने लगती हैं और पानी गंदा और मटमैला दिखता रहता है, और इसकी वेग काफी तेज होती है तो हमलोग सतर्क हो जाते हैं। अपने बाल-बच्चे समेत ऊंचे स्थानों की ओर कूच कर जाते हैं। -सरायगढ़ प्रखंड के कटैया गांव निवासी मो. महीउद्दीन

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