किसान मित्र कीटों को बचाएगा बीएयू
भागलपुर [ललन तिवारी] खेतों से खर-पतवार हटाने के दौरान कृषि यंत्रों व दवा के कारण किसान
भागलपुर [ललन तिवारी]
खेतों से खर-पतवार हटाने के दौरान कृषि यंत्रों व दवा के कारण किसान मित्र कीटों और लाभकारी बैक्टीरिया को भी नुकसान होता है। इससे फसल का उत्पादन भी प्रभावित होता है। बिहार कृषि विश्वविद्यालय, सबौर इस समस्या को दूर करने के लिए आधा दर्जन अंतरराष्ट्रीय संस्थानों के साथ मिलकर काम करेगा। इसका मकसद वैसे कृषि यंत्र व दवा को विकसित करना है, जो खर-पतवार को हटाने के दौरान किसान मित्र कीटों को नुकसान न पहुंचाए।
यदि खेत में धान के बिचड़ों की सीधी बोआई की जाती है तो खेत में खर-पतवार की अधिकता हो जाती है। इसके नियंत्रण के लिए किसान कृषि यंत्रों, और कई बार दवा का भी प्रयोग करते हैं। फूड चेन के माध्यम से इस दवा का दुष्प्रभाव मनुष्य के शरीर पर भी पड़ता है। साथ ही धरती के अंदर के लाभकारी बैक्टीरिया, केंकड़े, झींगा, केंचुए आदि जीवों का भी वजूद इस कारण समाप्त हो रहा है।
नई तकनीक से कृषि यंत्र बनाए जाएंगे
बीएयू में अनुसंधान के सह निदेशक डॉ. फिजा अहमद बताते हैं कि खर-पतवार निकालने के लिए नई तकनीक से कृषि यंत्र बनाए जाएंगे। इससे अधिक खर-पतवार निकाले जा सकेंगे और किसान मित्र कीटों को नुकसान भी नहीं होगा। मिट्टी के अंदर के जीवों पर दुष्प्रभाव न पड़े, इसके लिए नई दवा भी खोजी जा रही है।
नई किस्म रोग प्रतिरोधक क्षमता वाली भी होगी
साथ ही धान की नई किस्म के विकास का भी प्रयास किया जा रहा है। यह ऐसी किस्म होगी, जो खर-पतवार नाशी दवा का अवशोषण मिट्टी से नहीं करेगी। इससे फूड चेन के माध्यम से दवा का दुष्प्रभाव लोगों पर नहीं पड़ेगा। यह नई किस्म रोग प्रतिरोधक क्षमता वाली भी होगी।
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कोट कई संस्थानों द्वारा मिलकर अनुसंधान करने से काफी बेहतर और स्थायी परिणाम निकलेंगे। इससे किसानी नई तकनीक से लैस होगी। विश्वविद्यालय किसानों को समृद्ध करने का प्रयास कर रहा है।
- डॉ. आरके सोहाने
प्रभारी कुलपति, बीएयू, सबौर