आखिर दुष्कर्म के आरोपित को क्यों नहीं मिलती है सजा, क्यों मुकर जाते हैं गवाह, जानिए वजह
दुष्कर्म का केस कर मुकर जा रहे अहम गवाह। भागलपुर जिले में बीते पांच सालों में दर्जनों गवाहों ने केस का किया बंटाधार। पाक्सो मामले में पुलिस को गवाह के बयान की वीडियोग्राफी कराना जरूरी पर ऐसी कवायद नहीं करती पुलिस।
भागलपुर [कौशल किशोर मिश्र]। दुष्कर्म से जुड़े केस में अहम गवाहों के अदालत में मुकर जाने से गंभीर मुकदमे कमजोर हो रहे हैं, यह दीगर बात है कि न्यायालय उन मुकदमों से जुड़ी मेडिकल जांच रिपोर्ट और अन्य साक्ष्यों के बूते कई मुकदमों को सजा के मुकाम तक पहुंचाने में सफल हुई है। पुलिस की ऐसी कार्यशैली से मुकदमे में अभियोजन साक्ष्य को कमजोर बना देता है। पाक्सो के केस में उन अबोध बच्चियों के साथ होने वाले लैंगिक अपराध जिनमें उसके मां, बाप, भाई, दादा के मुकर जाने से पीडि़ता पर क्या बीतती होगी। पाक्सो से जुड़े दुष्कर्म की घटना बाद पहले तो केस दर्ज कराया फिर बाद में कतिपय कारणों से अदालत में गवाही देते समय अपने पूर्व के बयान पर कायम नहीं रह उस अबोध पीडि़त बच्ची को अकेला छोड़ अपनों से बेगाना हो गए। भागलपुर जिले में बीते पांच सालों में 40 से अधिक ऐसे मुकदमे सामने आए जिनमें पीडि़ता के सगे रिश्तेदार भी गवाही में पूर्व के बयान से पलट गए। ऐसे गवाहों की संख्या चार दर्जन से अधिक होंगे जो मुकर कर अभियोजन साक्ष्य को कमजोर बनाया। जिससे कई मुकदमे प्रभावित हुए।
पाक्सो से जुड़े केस में पुलिस को गवाहों की वीडियोग्राफी कराना जरूरी
बच्चों के लैंगिक अपराध से जुड़े पाक्सो मामले में पुलिस को घटना की जांच और विवेचना के दौरान गवाहों के बयान की वीडियोग्राफी करानी जरूरी है। लेकिन पुलिस ऐसा नहीं करती। केस डायरी और गवाहों के बयान को कलमबद्ध् करने तक ही पुलिस सीमित रहती। ऐसी स्थिति में केस के अहम गवाह अदालत में अपने पूर्व के बयान से मुकर जा रहे हैं। यही नहीं पुलिस के समक्ष दर्ज कराए बयान को वह अपना बयान नहीं मान यहां तक कह देते कि उसने ऐसा बयान दिया ही नहीं। ऐसे केस में अहम गवाहों के वीडियोग्राफी नहीं कराने पर गवाह आराम से अदालत में मुकर कर अभियोजन साक्ष्य को कमजोर कर दे रहे हैं।
इन थानों में दर्ज मुकदमे में नहीं हो रहा नियम का पालन
नवगछिया, गोपालपुर, खरीक, नाथनगर, जगदीशपुर, कजरैली, शाहकुंड, लोदीपुर, सजौर, गोराडीह समेत नवगछिया महिला थाना और भागलपुर महिला थाने में अबतक दर्ज पाक्सो से जुड़े मुकदमे में गवाहों के बयान की वीडियोग्राफी नहीं कराई जा सकी है।
दो साल की पीडि़त से हुई हैवानियत, पूर्व के बयान से मुकर गए मां-बाप
नवगछिया के महिला थाने में दर्ज कराए गए दो साल की बच्ची से दुष्कर्म के पाक्सो मुकदमे में उसके मां-पिता समेत अन्य अपनों ने अदालत में गवाही के दौरान अपने पूर्व के बयान से मुकर कर उस अबोध बच्ची को तनहा छोड़ दिया था। हालांकि न्यायालय ने उस अबोध बच्ची के साथ हुई घटना की मेडिकल रिपोर्ट और उसके सांकेतिक इशारे को पर्याप्त साक्ष्य मान अभियुक्त को सजा दे दी। लेकिन दर्जनों मामले खरीक, नाथनगर, सबौर, इस्माईलपुर आदि के जिनमे कमजोर साक्ष्य होने के कारण आरोपित बरी हो गए। पाक्सो एक्ट की धारा 22 गलत केस दर्ज कराने वालों के विरुद्ध् पुलिस को सख्त कदम उठाने का अधिकार देता है।