आखिर क्यों नहीं हो रहा है विक्रमशिला में केंद्रीय विश्वविद्यालय की स्थापना, जानिए वजह
विक्रमशिला में केंद्रीय विश्वविद्यालय की स्थापना के लिए लगातार प्रयास हो रहे हैं। छह साल बाद भी शुरू भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया नहीं हो हुआ है। केंद्रीय उच्चतर शिक्षा विभाग में मामला अटका हुआ है। इस कारण लोग यहां के लोगों में आक्रोश है।
संवाद सूत्र, कहलगांव (भागलपुर)। केंद्र सरकार ने छह साल पहले ही कहलगांव के प्राचीन विक्रमशिला में केंद्रीय विश्वविद्यालय की स्थापना की घोषणा की थी। जमीन अधिग्रहण के लिए पांच सौ करोड़ रुपये का आवंटन भी किया गया था। विक्रमशिला में केंद्रीय विश्वविद्यालय की स्थापना की घोषणा को लेकर इलाके में खुशी छा गई थी। लोगों को लगने लगा था कि अब उपेक्षित पड़े विक्रमशिला का भी विकास होगा।
कहलगांव अंचल कार्यालय से निकट के कई मौजा में अलग-अलग तीन जगह जमीन चिह्नित कर प्रस्ताव राज्य सरकार के पास भेजा गया था। जो बिहार सरकार के शिक्षा विभाग की फाइल में दो साल तक अटका रहा। बटेश्वरस्थान गंगा पंप नहर परियोजना के उद्घाटन हेतु आए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने 15 फरवरी 1918 को मंच से कहा था कि पांच सौ एकड़ बहुत जमीन है। दो सौ एकड़ में विश्वविद्यालय की स्थापना हो जाएगी। जमीन चिह्नित कर प्रस्ताव भेजने का आदेश दिया था।
कहलगांव अंचल की ओर से अलग अलग तीन जगहों पर दो-दो सौ एकड़ जमीन चिह्नित कर जिला के माध्यम से राज्य सरकार के पास प्रस्ताव भेज दिया। काफी दिन पटना में विभागीय फाइल में प्रस्ताव पड़ा रहा। उसके बाद फाइल केंद्र सरकार के उच्चतर शिक्षा विभाग के पास भेजी गई। वहां भी फाइल लटक गई थी।
पूर्व विधानसभा अध्यक्ष सदानन्द सिंह ने पत्र भेजकर जानकारी ली, तो कहा गया था कि एक उच्चस्तरीय टीम जाकर चयनित जमीन का निरीक्षण करेगी। उसके बाद ही आगे का काम होगा। करीब चार माह पहले गया के कुलपति के नेतृत्व में टीम आई और जमीन का मुआयना किया। टीम द्वारा केंद्र को रिपोर्ट सौंप दी गई है। बावजूद इसके अभी तक केंद्र से जमीन अधिग्रहण करने की स्वीकृति नहीं आई है।
यहां केंद्रीय विश्वविद्यालय की स्थापना जमीन अधिग्रहण करने की मांग को लेकर विक्रमशिला नागरिक समिति लगातार आंदोलन कर रही है। समिति के संयोजक डा. एनके जायसवाल इसके लिए पटना और दिल्ली की भी दौड़ लगा चुके हैं।