पुरातात्विक स्थल गुवारीडीह के तमाम सरकारी जमीन को प्रशासन लेगी कब्जे में, इस तरह किया जाएगा विकास

पुरातात्विक स्थल गुवारीडीह के आसपास की सरकारी जमीन को प्रशासन अब अपने कब्जे में लेगा। सारी सरकारी जमीन से संबंधित जानकारी मांगी गई है। गुवारीडीह में पुरातात्विक अवशेष मिलने के बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पिछले साल दिसंबर में दौरा किया था।

By Abhishek KumarEdited By: Publish:Tue, 06 Apr 2021 03:15 PM (IST) Updated:Tue, 06 Apr 2021 03:15 PM (IST)
पुरातात्विक स्थल गुवारीडीह के तमाम सरकारी जमीन को प्रशासन लेगी कब्जे में, इस तरह किया जाएगा विकास
भागलपुर के गुवारीडी में पुरातात्विक साक्ष्‍यों की जानकारी लेते सीएम। फाइल फोटो।

जागरण संवाददाता, भागलपुर। बिहपुर प्रखंड के गुवारीडीह स्थित तमाम सरकारी जमीन को जिला प्रशासन अपने कब्जे में लेगी। अपर समाहर्ता राजेश झा राजा ने बिहपुर के अंचलाधिकारी से गुवारीडीह की सारी सरकारी जमीन से संबंधित जानकारी मांगी है। गुवारीडीह में पुरातात्विक अवशेष मिलने के बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पिछले साल दिसंबर में दौरा किया था। उन्होंने पुरातात्विक अवशेष को बचाने का निर्देश दिया था, जिसके बाद जिला प्रशासन की ओर से जमीन की खोज की जा रही थी। इसी दौरान जांच में पता चला कि तीन एकड़ 62 डिसमिल सरकारी जमीन को एक ही परिवार के 60-70 लोगों ने अपने नाम जमाबंदी करा ली है। अपर समाहर्ता के यहां सुनवाई के बाद जमीन की जमाबंदी को रद किया किया है। ऐसे और भी लोग हैं जो सरकारी जमीन की जमाबंदी करा ली है। गुवारीडीह में ही सरकारी रास्ते की भी जमाबंदी करा ली गई है। ऐसी जमीन की सूची जगदीशपुर अंचलाधिकारी द्वारा तैयार की जा रही है। जमीन की पूरी जानकारी मिल जाने के बाद अपर समाहर्ता के कोर्ट में मामले की सुनवाई होगी।

सभी 16 प्रखंडों के सीओ से मांगी गई है सरकारी जमीन की सूची

अपर समाहर्ता ने सभी 16 प्रखंडों के अंचलाधिकारी को सरकारी जमीन की सूची सौंपने का निर्देश दिया है। वैसी जमीन की भी सूची सौंपने के लिए कहा गया है जहां भूमिहीनों को बसाया जा सके। जल निकाय, पहाड़, वन क्षेत्र, सड़क व खेल मैदान को इसमें शामिल नहीं करने के लिए कहा गया है। 15 अप्रैल को होने वाली बैठक में सूची सौंपने को कहा गया है।

गुआरीडीह टीले को कटाव से बचाने का कार्य युद्धस्तर पर

बिहपुर के गुआरीडीह में पुरातत्विक अवशेष स्थल को कटाव से बचाने के लिए कोसी की वर्तमान धारा को पुराने धारा में पायलट चैनल के द्वारा लाने के कार्य को लेकर आरंभिक कवायद शुरू हो गई है। जल संसाधन विभाग, नवगछिया के एसडीओ धीरेंद्र कुमार ने बताया कि जहां से जहां तक धारा परिवर्तन का कार्य होना है, वहां पर लाइन मार्किंग का कार्य जारी है। कोसी की धारा को 18 करोड़ 64 लाख की लागत से मोड़ा जाएगा। इसका टेंडर हो चुका है। कोसी की धारा मोडऩे का कार्य ठेकेदार संजय ङ्क्षसह को दिया गया हैं। कोसी की वर्तमान धारा गुआरीडीह से पुरानी धारा बैनाडीह में शिफ्ट किया जाएगा। कोसी 10-12 वर्ष पूर्व बैनाडीह होकर बहती थी।

लाइन मार्किंग का कार्य पूरा हो जाने के बाद धारा मोडऩे कार्य शुरू हो जाएगा। पुरानी बैनाडीह में कोसी की धारा लौटने से नवगछिया अनुमंडल के दर्जनों कोसी तटवर्ती गांव व हजारों एकड़ उपजाऊ जमीन कोसी के कटाव से मुक्त हो जाएगा। नई धारा छह किलोमीटर लंबा, तीस मीटर चौड़ा व छह मीटर गहरा होगा। जिसे मधेपुरा जिले के तटवर्ती गांव मुरौत से शुरू करके विशुनपुर तक लाया जाएगा। गुआरीडीह टीले को कटाव से बचाने के लिए जल संसाधन विभाग की निगरानी में प्रोटेक्शन वर्क शुरू किया गया है। इसका ठेका मुजफ्फपुर के राकेश कुमार ङ्क्षसह को दिया गया हैं। विभाग के जेई विजय कुमार ङ्क्षसह ने बताया कि टीले की सुरक्षा के लिए 980 मीटर लंबाई में थ्रीस्टेप गैवियन व जियो बैग के द्वारा पुरातात्विक टीले के कोसी से कटाव से सुरक्षित करने के लिए प्रोटेक्शन वर्क युद्धस्तर पर चल रहा है। इस कार्य के लिए लागत की कुल प्राक्कलित राशि पांच करोड़ 49 लाख रुपये है। गुआरीडीह में सरकारी तीन एकड़ 62 डिसमील जमीन को निजी लोगों द्वारा करा लिए गए जमाबंदी को रद कर दिए जाने के बाद वह जमीन सरकारी हो गई है। गुआरीडीह में प्राचीन अवशेष मिलने की जानकारी पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार 20 दिसंबर 2020 को गुआरीडीह के पुरातत्विक अवशेषों का मुआयना करने पहुंचे थे।  

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