Bihar : पीएचईडी में चला कार्रवाई का डंडा तो अधिकारी से लेकर ठीकेदारों में आई चुस्ती! शुरू हुआ सुल्तानगंज में बहुग्रामीण पाइप जलापूर्ति निर्माण कार्य

पीएचईडी में हुई कार्रवाई के बाद कोरोना महामारी के कारण अप्रैल से बंद सुल्तानगंज में बहुग्रामीण पाइप जलापूर्ति निर्माण कार्य शुरू हो गया। वहीं अधीक्षण अभियंता और कार्यपालक अभियंता हटाए गए हैं। भागलपुर के तत्कालीन मुख्य अभियंता को स्पष्टीकरण का मुख्यालय की टिप्पणी का इंतराज है। पढ़ें पूरी खबर...

By Shivam BajpaiEdited By: Publish:Sat, 24 Jul 2021 04:27 PM (IST) Updated:Sat, 24 Jul 2021 04:27 PM (IST)
Bihar : पीएचईडी में चला कार्रवाई का डंडा तो अधिकारी से लेकर ठीकेदारों में आई चुस्ती! शुरू हुआ सुल्तानगंज में बहुग्रामीण पाइप जलापूर्ति निर्माण कार्य
कोरोना काल में मंद गति से चल रही थी निर्माणाधीन बहुग्रामीण पाइप जलापूर्ति योजना

जागरण संवाददाता, भागलपुर। कार्रवाई का डंडा चलने पर शिथिल पड़े लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग (पीएचईडी) के अधिकारी से लेकर ठीकेदारों में चुस्ती आ गई। सुल्तानगंज में बहुग्रामीण पाइप जलापूर्ति के निर्माण कार्य शुरू करने के साथ इसमें तेजी आने लगी है। दरअसल, योजना फेल होने के मामले को लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग (पीएचइडी) के सचिव जितेंद्र श्रीवास्तव द्वारा भागलपुर के तत्कालिक और पूर्णिया के वर्तमान मुख्य अभियंता रमणजी झा, अधीक्षण अभियंता अनिल कुमार अखिलेश और कार्यपालक अभियंता सुभाष चंद्र सिन्हा से स्पष्टीकरण मांगा गया था।

सभी अधिकारियों द्वारा 72 घंटे में मांगे गए स्पष्टीकरण का जवाब दे दिया गया। संतोषजनक जवाब नहीं मिलने पर अधीक्षण अभियंता अनिल कुमार अखिलेश और कार्यपालक अभियंता सुभाष चंद्र सिन्हा भागलपुर से हटा दिया गया। तब दल अधीक्षण अभियंता अखिलेश का स्थानांतरण मुख्यालय करते हुए उन्हें नौ-दस जिलों के पानी की गुणवत्ता जांच की जिम्मेवारी सौंपी गई, जबकि कार्यपालक अभियंता सुभाष चंद्र सिन्हा का स्थानांतरण गया में तकनीकी सलाहकार के पद पर की गई है। विजय कुमार को भागलपुर का अधीक्षण अभियंता और पीएचइडी पूर्वी क्षेत्र के कार्यपालक अभियंता अजित कुमार को पश्चिमी क्षेत्र का अतिरिक्त प्रभार सौंपा गया है।

वहीं एक ओर कार्यों में सुस्ती बरतने वाली निर्माण एजेंसी के खिलाफ कार्रवाई करते हुए एजेंसी का नाम काली सूची में डाल दिया गया, लेकिन दूसरी ओर विभाग उसी एजेंसी से निर्माण कराने का निर्णय लिया गया, लेकिन अब रियान के अलावा दो और एजेंसीयों को भी इसमें शामिल किया गया है। मंगलम और पवन कुमार चौबे को टावरों में जलापूर्ति करने का ठीका मिला है। रियान को गंगा के पानी को साफ करने का यूनिट बनाने सहित पवन चौबे को दोगच्छी, रननूचक और मंगलम को हरदासपुर, शाहपुर व अजमेरी गांवों में टावरों में जलापूर्ति का काम मिला है। जुलाई में योजना पूरी करने की योजना के तहत काम चल ही रहा था कि कोरोना के बढ़ते मामलों के कारण काम बंद कर दिया गया था।

सुल्तानगंज में बहुग्रामीण पाइप जलापूर्ति का काम साढ़े 14 महीने तक काम चलने के बाद मार्च-अप्रैल में विभागीय अधिकारियों को पता चला कि काम तो सिर्फ नौ फीसद हो पाया था। हैरत की बात यह कि लेट लतीफी की जानकारी भी विभागीय अधिकारियों को सवा साल बाद हुई। यह योजना वर्ष 2017 में ही पूरा होना था। पर विभागीय अधिकारियों की लापरवाही के कारण एजेंसी हैदराबाद की आईवीआरसीसी द्वारा निर्माण में सुस्ती बरती गई। एग्रीमेंट के मुताबिक समय पर काम पूरा नहीं करने की स्थिति में एजेंसी के खिलाफ कार्रवाई करते हुए विभाग ने टेंडर रद कर नाम काली सूची में डाल दिया।

री-टेंडर में 2018 में काम कोलकाता की मेसर्स रियन वाटरटेक प्राइवेट लिमिटेड को मिला। यही नहीं योजना की राशि 70 करोड़ से बढ़कर 98 करोड़ हो गई। सभी जलमीनार बनाने का काम भी पूरा नहीं हो सका है। सुल्तानगंज में जलमीनार ट्रीटमेंट प्लांट का भी काम पूरा नहीं हो सका है। सुल्तानगंज और नाथनगर प्रखंडों के 70 वार्डों के दस हजार से अधिक घरों में नल का जल योजना के तहत कनेक्शन करना है। अबतक 12 वार्डों में कनेक्शन कर बोरिंग से जलापूर्ति की जा रही है। जबकि पीएचइडी के अधिकारी जुलाई तक 50 हजार आबादी को शुद्ध पेयजलापूर्ति का दावा कर रहे थे।

राष्ट्रीय ग्रामीण पेयजल कार्यक्रम के तहत सुल्तानगंज एवं नाथनगर प्रखंड के अत्यधिक आर्सेनिक प्रभावित गांवों में पेयजल की आपूर्ति होनी है। इसके लिए गंगा नदी एवं सतही जल का उपयोग होगा। विभाग के तत्कालीन कार्यपालक अभियंता सुभाष चंद्र सिन्हा द्वारा सरकार को लिखे गए पत्र में कहा गया था कि आर्सेनिक प्रभावित दोनों प्रखंडों के गांवों में पहले से पेयजल पहुंचाने की कोशिश चल रही थी। इसके लिए अर्धनिर्मित बहुग्रामीण पाइप जलापूर्ति योजना के बचे हुए काम को डेढ़ साल में पूरा करने के करार के साथ एजेंसी को काम दिया गया। उसी एजेंसी को ट्रायल रन के बाद पांच साल तक के रखरखाव एवं संचालन की जिम्मेवारी भी दी गई है।

योजना की प्रगति देखने गए कार्यपालक अभियंता को पता चला कि मार्च के अंत तक सिर्फ नौ प्रतिशत काम हो पाया है। कार्यपालक अभियंता की रिपोर्ट में बताया गया है कि बचे हुए साढ़े तीन महीने में 91 प्रतिशत काम पूरा नहीं किया जा सकता। इसके लिए निर्माण एजेंसी को कारण बताओ नोटिस दिया गया। जवाब नहीं आया। काम में तेजी भी नहीं आई। आखिरकार एजेंसी को काली सूची में डाल दिया गया। अब राज्य में उसे पीएचइडी का कोई काम नहीं दिया जाएगा।

'पूछे गए स्पष्टीकरण का जवाब भेज दिया गया है, लेकिन अबतक मुख्यालय से किसी तरह की टिप्पणी प्राप्त नहीं हुई है।' -रमणजी झा, भागलपुर के तत्कालीन व पूर्णिया के वर्तमान मुख्य अभियंता, पीएचईडी।

'70 फीसद काम हो चुका है। ट्रीटमेंट प्लांट का काम दिसंबर में पूरा होने की उम्मीद है। दोगच्छी, रन्नूचक के दोनों टावर को एक सप्ताह में फिलहाल बोरिंग से जलापूर्ति शुरू कर दी जाएगी, जबकि हरदासपुर, शाहपुर व अजमेरी गावों के टावरों से अगस्त में जलापूर्ति की जाएगी। '-अजित कुमार, कार्यपालक अभियंता, पीएचइडी, पश्चिमी क्षेत्र।

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