पांच वर्षों में भी नहीं निकल सका जलनिकासी का हल
बेगूसराय बारिश ने क्षेत्र के ग्रामीण सड़कों की सूरत बिगाड़ दी है। गांवों की गलियों में जल
बेगूसराय : बारिश ने क्षेत्र के ग्रामीण सड़कों की सूरत बिगाड़ दी है। गांवों की गलियों में जल जमाव हो गया है। जलनिकासी की व्यवस्था नहीं होने से लोगों को आवागमन में काफी परेशानी हो रही है। पांच वर्षों में जनप्रतिनिधियों के द्वारा जल निकासी की व्यवस्था नहीं की जा सकी। इस बार के पंचायत चुनाव में जल निकासी प्रमुख मुद्दा बनेगा।
सागी पंचायत के नारायणपुर ढ़ाला से चलकी चौक जानेवाली सड़क, गोसाइमठ तीन बटिया से मिल्की जानेवाली सड़क, दौलतपुर पंचायत के चलकी, बाड़ा पंचायत के मनोकामना महावीर मंदिर से मोहल्लो जानेवाली सड़क, बरियारपुर पूर्वी पंचायत के सिरसी मस्जिद के समीप, योगीडीह, पूर्वी टोल, बरियारपुर पश्चिमी पंचायत के एसएच 55 से नागापोखर जानेवाली मुख्य सड़क, सदर बाजार, फफौत पंचायत के तारा, मिड्ल स्कूल के समीप चकवा, मटिहानी एवं खोदावंदपुर पंचायत के बजही, खोदावंदपुर हनुमान मंदिर के समीप, मिड्ल स्कूल के निकट, पासवान टोल सहित अनेक स्थानों पर जल जमाव है। जल जमाव की मुख्य कारण कहीं मुख्य नाला का धरातल से उपर रहने तो कहीं नाली को मुख्य नाला से नहीं जोड़े जाने, कहीं नाला के निकास को अवरुद्ध कर दिए जाने तो कहीं नाला का अतिक्रमण कर लिए जाने के कारण निकासी अवरुद्ध है। जनप्रतिनिधि यदि विकास समर्थक हो तो एक पंचायत को खूबसूरत और विकसित बनाने के लिए पांच वर्ष का समय कम नहीं होता है। हम वैसे जनप्रतिनिधि का चयन करेंगे जो महिला उत्थान के साथ-साथ पंचायत के सर्वांगीण विकास के लिए समर्पित हो। पांच साल में भी यहां लाखों खर्च के बाद जल जमाव की समस्या का निदान नहीं किया जा सका है।
शारदा कुमारी, मेघौल जलजमाव की समस्या के लिए जनप्रतिनिधि जिम्मेदार हैं। पंचायत के विकास के लिए पांच साल में सरकार जितनी राशि देती है, वह कम नहीं है। जरूरत है स्थानीय स्तर पर तकनीक को ध्यान में रखते हुए प्लानिग बनाकर नाला को आबादी से बाहर तक निर्माण करने करवाने का। तभी जाकर इस समस्या से मुक्ति मिल पाएगी।
बाबू प्रसाद वर्मा, खोदावंदपुर गांव के लोग जब तक जागरूक नहीं होंगे, तब जक जलजमाव की समस्या से निजात नहीं मिलेगी। सड़क किनारे रहने वाले लोग नाला में कचरा भरकर इसके बहाव को अवरुद्ध कर देते हैं। नाला निर्माण में गुणवत्ता का ख्याल नहीं रखा जाता है। इससे जल निकासी हर जगह गंभीर बनी हुई है। इसके लिए आमलोगों को भी जागरूक होना होगा।
नितेश कुमार, मेघौल पूरे पांच साल हालात बदतर रहा। सरकार के द्वारा विभिन्न योजनाओं के माध्यम से जल निकासी के लिए कितनी राशि आवंटित की गई। पंचायत प्रतिनिधि यदि उसका समुचित तरीके से प्रबंधन किए होते तो शायद आज जल जमाव के कारण लोगों को ऐसी दुर्दशा नहीं झेलनी पड़ती। जरूरत है ईमानदारी एवं सेवाभाव से अपने दायित्वों के निर्वहन करने का।
मणिकांत झा मणि, बाड़ा