शम्हो-मटिहानी पुल के लिए डीपीआर बनाने को फिर से नई कंपनी का हुआ चयन

बेगूसराय। शाम्हो-मटिहानी पुल के डीपीआर बनाने की प्रक्रिया ने एक बार फिर से जोर पकड़ लिया है। एनएचएआइ ने डीपीआर बनाने को दूसरी बार टेंडर किया है। पहली बार जयपुर राजस्थान की एक कंपनी को डीपीआर बनाने का टेंडर दी गई थी जिसका मामला अदालत में चला गया और टेंडर रद हो गया।

By JagranEdited By: Publish:Mon, 12 Jul 2021 06:53 PM (IST) Updated:Mon, 12 Jul 2021 06:53 PM (IST)
शम्हो-मटिहानी पुल के लिए डीपीआर बनाने को फिर से नई कंपनी का हुआ चयन
शम्हो-मटिहानी पुल के लिए डीपीआर बनाने को फिर से नई कंपनी का हुआ चयन

बेगूसराय। शाम्हो-मटिहानी पुल के डीपीआर बनाने की प्रक्रिया ने एक बार फिर से जोर पकड़ लिया है। एनएचएआइ ने डीपीआर बनाने को दूसरी बार टेंडर किया है। पहली बार जयपुर राजस्थान की एक कंपनी को डीपीआर बनाने का टेंडर दी गई थी, जिसका मामला अदालत में चला गया और टेंडर रद हो गया। राज्यसभा सांसद राकेश सिन्हा के प्रयास से फिर से टेंडर निकाला गया है। इस बार डीपीआर बनाने का टेंडर मेसर्स रोडिक कंसलटेंट प्राइवेट लिमिटेड इन ज्वाइंट वेंचर मोनार्क सर्वेयर्स एंड इंजीनियरिग कंसलटेंट प्राइवेट कंपनी को दिया गया है।

पुल की कुल 22 किलोमीटर : एनएचएआइ के मुताबिक पुल की कुल लंबाई 22 किलोमीटर होगी। डीपीआर बनाने की राशि एक करोड़ 40 लाख 36 हजार तय की गई है। राकेश सिन्हा ने एनएचएआइ के पत्र को अपने इंटरनेट मीडिया पर शेयर करते हुए लिखा है कि गंगा नदी पर शाम्हो मटिहानी पुल की मंजूरी होने के बाद इसके डीपीआर बनाने का आदेश। आगे लिखा है, कि इस पुल के बनने से बिहार से ओडिश, झारखंड एवं पश्चिम बंगाल की दूरी 76 किलोमीटर कम हो जाएगी।

वर्षों से होती रही है मांग : शाम्हो प्रखंड को जिला मुख्यालय से जोड़ने के लिए सुगम रास्ता गंगा नदी पर शाम्हो और मटिहानी के बीच पुल की मांग शाम्होवासियों की वर्षों से रही है। अभी तक जिला मुख्यालय बेगूसराय तक आने के लिए शाम्हो वासियों के लिए मुख्य रूप से दो रास्ते उपलब्ध हैं। सड़क मार्ग से सूर्यगढ़ा के रास्ते लखीसराय और पटना जिला होते हुए 79 किलोमीटर की दूरी तय कर शाम्हो के लोग अपने जिला मुख्यालय बेगूसराय पहुंचते हैं। यह रास्ता बेहद खर्चीला और अधिक समय लेने वाला है। शाम्हो के लोग लाचार होकर कठिन रास्ते को पकड़ते हैं और नाव के सहारे गंगा नदी को पार कर जिला मुख्यालय पहुंचते हैं, जो खतरनाक है।

राजेंद्र पुल की स्थिति दयनीय : पटना जिला और बेगूसराय को जोड़ने वाली गंगा नदी पर राजेंद्र सेतु की स्थिति भी दयनीय है। पुल के जर्जर होने के कारण भारी वाहनों का आवागमन महीनों से बंद है। राजेंद्र सेतु के बंद रहने से शाम्हो से सुबह में चलने वाली दो बसों का परिचालन भी जिला मुख्यालय तक आने के लिए फिलहाल बंद है। शाम्हो मटिहानी पुल की मांग राज्यसभा सांसद राकेश सिन्हा ने पिछले साल जून 2019 में उठाई थी। पुल के बनने से लाभ : शाम्हो-मटिहानी पुल बनने से शाम्हो की 50 हजार की आबादी को जिला मुख्यालय से जुड़ने के लिए सीधा रास्ता तो मिलेगा ही साथ ही दक्षिण बिहार, झारखंड, ओड़िशा को उत्तर बिहार से जोड़ने में मदद मिलेगी। 60 किलोमीटर की दूरी भी कम होगी। शाम्हो से सटे बेगूसराय, समस्तीपुर, लखीसराय, जमुई, नवादा, शेखपुरा, झारखंड के देवघर जाने वाले लोगों को समय और दूरी की बचत होगी। पुल बनने से लखीसराय के बड़हिया तथा राजेंद्र सेतु पर जाम की समस्या कम होगी। किसानों को फसल, सब्जी, दूध का उचित मूल्य मिलने लगेगा। इससे किसानों की आर्थिक स्थिति मजबूत होगी। पुल बनने से किसानों को फसल बिक्री के लिए उचित बाजार भी मिलेगा। जमीन अधिग्रहण में नहीं आएगी समस्या : शाम्हो-मटिहानी के बीच पुल के निर्माण में •ामीन अधिग्रहण की कोई समस्या नहीं आएगी। क्योंकि वर्षों पूर्व जब गंगा नदी शाम्हो से दक्षिण में बहती थी, उस समय शाम्हो बेगूसराय से बड़ा बाजार हुआ करता था। बाजार से सामान ले जाने और लाने के लिए शाम्हो से भाया बेगूसराय होते हुए नेपाल-बेगूसराय कच्ची सड़क थी, जो वर्तमान में बेगूसराय के काली स्थान से होकर गुजरती है। शाम्हो नेपाल का यह सड़क सर्वे सड़क है।

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