कोरोना संकट में मास्क उद्योग लगाकर खुद व दूसरों का किया आत्मनिर्भर

बेगूसराय। लोग कोरोना महामारी से जूझ रहे हैं। कल कारखाने बंद हो गए हैं। इससे लाखों लोगों की नौकरियां चली गई। ऐसी परिस्थिति में मेघौल निवासी स्व. सूर्यदेव चौधरी के पुत्र विजय कुमार ने मास्क उद्योग लगाकर न सिर्फ अपनी जीविकोपार्जन का शुरू की बल्कि इसमें कई महिलाओं को भी रोजगार मिला।

By JagranEdited By: Publish:Tue, 18 May 2021 11:01 PM (IST) Updated:Tue, 18 May 2021 11:01 PM (IST)
कोरोना संकट में मास्क उद्योग लगाकर खुद व दूसरों का किया आत्मनिर्भर
कोरोना संकट में मास्क उद्योग लगाकर खुद व दूसरों का किया आत्मनिर्भर

बेगूसराय। लोग कोरोना महामारी से जूझ रहे हैं। कल कारखाने बंद हो गए हैं। इससे लाखों लोगों की नौकरियां चली गई। ऐसी परिस्थिति में मेघौल निवासी स्व. सूर्यदेव चौधरी के पुत्र विजय कुमार ने मास्क उद्योग लगाकर न सिर्फ अपनी जीविकोपार्जन का शुरू की, बल्कि इसमें कई महिलाओं को भी रोजगार मिला। विजय ने पत्नी सोनी देवी की मदद से अपने गांव में ही मास्क लघु उद्योग लगाया। इस उद्योग की सहायता से वे खुद आर्थिक तंगी से उबरे ही, साथ ही पास पड़ोस की महिलाओं को इससे जोड़कर उन्हें भी आर्थिक रूप से मजबूत किया। फिलहाल दर्जन भर से अधिक महिलाएं प्रतिदिन आठ सौ से एक हजार मास्क बना रही हैं।

प्रतिदिन बन रहे हैं आठ सौ से एक हजार मास्क

महिलाओं के सहयोग से प्रतिदिन यहां आठ सौ से एक हजार मास्क बनाए जा रहे हैं। निर्मित मास्क पड़ोस के दो युवकों की मदद से प्रतिदिन क्षेत्र में सप्लाई की जा रही है। विजय अपनी आपबीती सुनाते हुए कहा कि बचपन में ही उनके पिता की मृत्यु हो गई, घर में विधवा मां के अलावा एक भाई और एक बहन है। असमय पिता के गुजर जाने से परिवार के भरण-पोषण की जिम्मेदारी उनके कंधे पर आ गई। परिवार की आर्थिक स्थिति बदतर रहने के कारण वह दिल्ली चला गए। वहां एक प्राइवेट फैक्ट्री में नाइट गार्ड की नौकरी की। इससे उसके परिवार का भरण पोषण चलने लगा। पिछले साल कोरोना के चलते फैक्ट्री बंद हो गई और विजय की नौकरी चली गई। बेरोजगारी की वजह से वह पुन: घर आ गया। गांव में ना खेतीबाड़ी न ही रोजगार के साधन थे। आखिर घर का चूल्हा कैसे जलता। फिर भी विजय ने हिम्मत नहीं हारी तथा आपदा को अवसर में बदलने का संकल्प लिया।

शुरू किया मास्क निर्माण : विजय ने कोरोना महामारी से बचाव को लेकर मास्क निर्माण को अपना स्वरोजगार बनाया। अपने घर पर ही पारस मास्क उद्योग नाम से प्रतिष्ठान खोलकर कपड़े से मास्क का निर्माण शुरू किया। अपने प्रतिष्ठान का निबंधन एमएसएमई से कराया। इसके बाद स्वजनों के अलावा गांव की एक दर्जन से अधिक महिलाओं ने मास्क निर्माण से जोड़कर स्वयं विपणन का कार्य देखने लगे। दो दर्जन महिला और एक दर्जन प्रवासी कामगारों को उन्होंने रोजगार दिया। सोनी कुमारी, शांति देवी, पिकी देवी, सोनी देवी, निधि भारती, खुशबू कुमारी, पूनम कुमारी, राखी कुमारी, अनिता देवी, प्रगति कुमारी, आरती देवी आदि ग्रामीण महिलाएं मास्क बनाकर अपना घर गृहस्थी चला रही हैं।

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