झमटिया गंगा तट पर लकड़ी के अभाव में दफनाए जा रहे शव
बेगूसराय झमटिया श्मशान घाट पर अंतिम संस्कार के लिए आने वाले शवों की संख्या तिगुनी से भी अ
बेगूसराय : झमटिया श्मशान घाट पर अंतिम संस्कार के लिए आने वाले शवों की संख्या तिगुनी से भी अधिक हो गई है। इससे लकड़ी की कीमतों में भी काफी उछाल आई है। स्थानीय लोगों का कहना है कि कोरोना काल से पूर्व झमटिया श्मशान घाट में प्रतिदिन अधिकतम 25 से 30 चिताएं जलती थी। परंतु, कोरोना काल में प्रतिदिन 120 से 140 शवों का अंतिम संस्कार किया जा रहा है। घाट पर मौजूद डोम राजा ने बताया कि झमटिया पुल स्थित शवदाह स्थल पर जगह कम होने से एक बार में अधिकतम चार से पांच शव जलाए जाते हैं। ऐसी स्थिति में यहां दाह संस्कार के लिए आने वाले लोगों को घंटों बैठकर इंतजार करना पड़ता है। श्मशान घाट में जगह कम रहने से कुछ शव गड्ढा खोदकर दफना दिए जाते हैं। डोम राजा ने बताया कि झमटिया श्मशान घाट आने वाले अधिकांश शव कोरोना संक्रमितों का रहता है। ऐसी स्थिति में मुखाग्नि देने में संक्रमण का खतरा बना रहता है। प्रशासन की ओर से संक्रमण से बचाव के लिए पीपीई किट अथवा कोई अन्य व्यवस्था भी नहीं की गई है।
डीजल के दाम में इजाफा एवं लॉकडाउन से लकड़ी की कीमत में भारी वृद्धि
झमटिया ढाला स्थित एनएच किनारे लकड़ी की दुकान चला रहे उपेंद्र यादव ने बताया कि झमटिया गंगा तट पर प्रतिदिन समस्तीपुर, दरभंगा, मधुबनी समेत क्षेत्रीय लोग सौ से अधिक शवों के साथ दाह संस्कार के लिए पहुंच रहे हैं। शवों की संख्या के मुकाबले जलावन कम पर जा रही है। लॉकडाउन लगते ही दूसरी जगह से खरीदी जाने वाली लकड़ियां भी नहीं मिल पा रही है। गांव कस्बे में घूम-घूम कर खरीदी जाने वाली लकड़ियां भी अधिक दामों में मिल रही है। मजबूरन 700 से 750 रुपये प्रतिमन जलावन बेचना पड़ रहा है।