गढ़पुरा में नोनियां मिट्टी से नमक बनाकर श्रीबाबू ने तोड़ा था नमक कानून

बेगूसराय नमक सत्याग्रह आंदोलन के मुख्य नायक के रूप में बिहार केसरी डा. श्रीकृष्ण सिंह ने

By JagranEdited By: Publish:Wed, 20 Oct 2021 09:29 PM (IST) Updated:Wed, 20 Oct 2021 09:29 PM (IST)
गढ़पुरा में नोनियां मिट्टी से नमक बनाकर श्रीबाबू ने तोड़ा था नमक कानून
गढ़पुरा में नोनियां मिट्टी से नमक बनाकर श्रीबाबू ने तोड़ा था नमक कानून

बेगूसराय : नमक सत्याग्रह आंदोलन के मुख्य नायक के रूप में बिहार केसरी डा. श्रीकृष्ण सिंह ने 1930 में गढ़पुरा में नमक सत्याग्रह अवज्ञा आंदोलन चलाया था। इसके लिए उन्होंने अखंड जिला मुंगेर में स्वतंत्रता सेनानियों की बैठक आहूत की थी। इसमें गढ़पुरा के बाबू बिदेश्वरी प्रसाद सिंह के साथ दामोदर प्रसाद सिंह मुंगेर की बैठक में शामिल हुए थे। घंटों चली बैठक में नमक सत्याग्रह आंदोलन के लिए जगह की बारे चर्चा हुई। कोई भी स्वतंत्रता सेनानी जगह चयन के लिए कुछ भी बोलने को तैयार नहीं थे, तब बाबू बिदेश्वरी प्रसाद सिंह ने गढ़पुरा में नमक सत्याग्रह आंदोलन किए जाने की पैरवी की। काफी विचार विमर्श के बाद नमक सत्याग्रह आंदोलन के लिए 21 अप्रैल 1930 का दिन निश्चित कर दिया गया। उस दिन अखंड जिला मुंगेर के स्वतंत्रता सेनानी मुंगेर पहुंच एकत्रित होकर मां गंगा का आशीर्वाद लेते गढ़पुरा के लिए 17 अप्रैल 1930 को जत्था डा. श्रीकृष्ण सिंह के नेतृत्व में रवाना हुआ। रास्ते में स्वतंत्रता सेनानियों का स्वागत हुआ। 21 अप्रैल को स्वतंत्रता सेनानियों का काफिला गढ़पुरा स्थित दुर्गा गाछी प्रांगण में पहुंचा, जहां नोनिया मिट्टी से नमक बनाने जाने की तैयारी की गई थी। इस आंदोलन को विफल करने के लिए अंग्रेजी हुकूमत ने सारी ताकत झोंक दी थी। गढ़पुरा लगभग छावनी में तब्दील था। इसी दौरान नमक सत्याग्रह अवज्ञा आंदोलन शुरू हुआ। इसमें स्वतंत्रता सेनानी एवं डा. श्रीकृष्ण सिंह नमक बनाए जाने के लिए खौलते कड़ाह को पकड़े हुए थे। अंग्रेजी सिपाहियों की दमनात्मक कार्रवाई में श्रीबाबू का हाथ, जांघ और छाती में खौलते नमक का पानी पड़ने से फफोले पड़ गए। बावजूद उन्होंने हार नहीं मानी और नमक तैयार करके ही दम लिया। इस दौरान श्रीबाबू के साथ बाबू बिदेश्वरी प्रसाद सिंह को गिरफ्तार कर लिया गया। छह महीने के बाद बिहार केसरी रिहा हुए। उनके मुख्य सहयोगियों को जेल में इतनी यातनाएं दी गई कि उनके घर वापसी के बाद कुछ ही दिनों बाद मृत्यु हो गई।

इस सबके बावजूद श्री कृष्ण सिंह की कर्मभूमि तथा बिहार का एकलौता नमक सत्याग्रह आंदोलन की धरती गढ़पुरा, राष्ट्रीय मानचित्र पर लाए जाने की बाट जोह रहा है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार गढ़पुरा नमन यात्रा पर वर्ष 2013 को पहुंचे थे। स्थल का निरीक्षण कर सभा के माध्यम से स्वतंत्रता आंदोलन की धरती को राष्ट्रीय मानचित्र पर लाए जाने का आश्वासन दिया। अब तक में स्मारक के रूप में भवन का निर्माण बिहार सरकार के कला संस्कृति विभाग के द्वारा कराया गया है। घोषणा के अनुरूप काम को अंजाम देने के लिए 71 डिसमिल जमीन अधिग्रहण किया जाना है। इतने वर्षों बाद भी जमीन अधिग्रहण काम अधूरा है।

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