ऐलखनी त रस्ता पैरा देखने होथिन, दुकानो दौरी जाय में दिकते होए छै
बेगूसराय प्रखंड की चकहमीद पंचायत अंतर्गत बैरबा मुसहरी एक ऐसा गांव है जहां के लोगों को
बेगूसराय : प्रखंड की चकहमीद पंचायत अंतर्गत बैरबा मुसहरी एक ऐसा गांव है जहां के लोगों को आज तक एक अदद रास्ता मयस्सर नहीं हो सका है। गांव के एक दरवाजे पर चंद महिला और पुरुष बैठे मिले। गांव के विकास की चर्चा छिड़ते ही महिलाएं कहती हैं - एलखनी त देखलखिन ने कि केहन विकास होलखै है। रस्ता पैरा नय छ। दुकानो दौरी जाय ले सोचय पड़ै छय। वहां खड़े शिवकुमार सदा कहते हैं कि गरीब को देखा बाला कोई नै छय। हमरा घर, शौचालय कुछो नै मिललै। राशनो कार्ड नै छै। चुनाव के बखत सब बहुते कहै छय, लेकिन जितला के बाद केकरो कोई नै पूछै छै। गायत्री देवी कहती हैं कि हमरा घर द्वार और शौचालय सब मिललै। पेंशनो मिलै छै, लेकिन हमरा पुरुख के चार महीना से पेंशन नै भेटै छै। मुकेश सदा कहते हैं कि हमरा भी घर, शौचालय और राशन कार्ड नै भेटलै। विनोद सदा कहते हैं कि हमरा घर भेटल छै। राशन कार्ड नै भेटलै। वहां बैठीं जगपरी देवी, सुंदरी देवी, गीता देवी, अनिता कुमारी आदि ने कहा कि हमरा सबके सब कुछ मिलल छै। खाली रस्ता पैरा के दिक्कत छै। विनोद सदा ने कहा कि गांव में स्कूलो नै छय। पहले दू गो महटर पढ़बै ल आबय रहे। अब उहो नै आबै छै। उकरो बगल के गांव के स्कूल में भेज देलकै। हमरा गांव के बच्चा भय खातिर ओय स्कूल नै जाय छै। हुआं के बच्चा आर ओकरा मारे पिटै छै। मालूम हो कि बैरबा पहले शकरपुरा पंचायत का अंग था। नदी के उस पार होने के कारण बाद में उसे चकहमीद पंचायत में मिला दिया गया। गांव में पूर्णत: अनुसूचित जाति की आबादी निवास करती है। गांव नदी के किनारे स्थित है। नदी का कछार ही गांव के आवागमन का एकमात्र साधन है। वहां नदी पर पुल निर्माण की मांग गांव वाले वर्षों से कर रहे हैं। पुल के अभाव में गांव वालों को अनुमंडल, प्रखंड और बाजार आने जाने के लिए महज पांच सौ गज की दूरी के बदले चार से पांच किलोमीटर की दूरी तय करनी पड़ती है। नदी के कछार पर चलने से लोगों को किसी अनहोनी की आशंका हर समय सताती रहती है। गांव वाले स्वच्छ छवि तथा मिलनसार और विकास करने वाले को जनप्रतिनिधि चुनने की वकालत की है।