जल संरक्षण की राह में रोड़ा बना है जलश्रोतों का अतिक्रमण

बेगूसराय। वर्षों पूर्व जल संरक्षण व पानी की आवश्यकता की पूर्ति के लिए हमारे पूर्वजों ने जगह-जगह तालाब पोखर नहर आहर पइन आदि खुदवाने का काम किया था। तब शायद यह उद्देश्य रहा होगा कि सिर्फ हम नहीं बल्कि हमारी भावी पीढ़ी भी पानी की किसी तरह की समस्या से परेशान नहीं हों। लेकिन बढ़ती आबादी व लोगों की बदलती मानसिकता पूर्वजों की सोच व उनके किए काम पर पानी फेर रहे हैं।

By JagranEdited By: Publish:Sun, 28 Mar 2021 12:33 AM (IST) Updated:Sun, 28 Mar 2021 12:33 AM (IST)
जल संरक्षण की राह में रोड़ा बना है जलश्रोतों का अतिक्रमण
जल संरक्षण की राह में रोड़ा बना है जलश्रोतों का अतिक्रमण

बेगूसराय। वर्षों पूर्व जल संरक्षण व पानी की आवश्यकता की पूर्ति के लिए हमारे पूर्वजों ने जगह-जगह तालाब, पोखर, नहर, आहर, पइन आदि खुदवाने का काम किया था। तब शायद यह उद्देश्य रहा होगा कि सिर्फ हम नहीं बल्कि हमारी भावी पीढ़ी भी पानी की किसी तरह की समस्या से परेशान नहीं हों। लेकिन बढ़ती आबादी व लोगों की बदलती मानसिकता पूर्वजों की सोच व उनके किए काम पर पानी फेर रहे हैं। स्थिति यह है कि पूर्वजों द्वारा खुदवाए गए पोखर, तालाब आदि पर न सिर्फ कब्जा करने का काम लोगों ने शुरू कर दिया, बल्कि ऐसे पोखर व तालाब की जमीन पर मकान व दुकान भी लोगों ने खड़ा कर दिया है। अतिक्रमण के शिकार इन पोखर व तालाबों में सरकारी पोखर व तालाब भी शामिल है। ऐसे जलश्रोतों का अतिक्रमण भी आज जल संरक्षण की राह में रोड़ा बन रहा है। सिर्फ सरकारी जलश्रोतों की बात करें, तो वर्तमान में भी जिले में 43 जलश्रोतों पर लोगों ने अस्थायी रूप से कब्जा कर रखा है, तो 17 जलश्रोतों पर स्थायी रूप से कब्जा कर रखा है। हालांकि इससे पूर्व तक 164 व्यक्तियों ने अस्थायी एवं 24 ने स्थाई रूप से जिले के 202 जलश्रोतों का अतिक्रमण कर रखा गया था। जिसमें से 121 अस्थायी एवं 7 स्थायी अतिक्रमण को जिला प्रशासन द्वारा हटाया गया है। प्रखंड वार आंकड़ों की बात करें, तो वीरपुर प्रखंड में अब भी सात जलश्रोतों का अस्थायी अतिक्रमण है। इसी तरह तेघड़ा प्रखंड में एक अस्थायी एवं दो स्थायी, मंसूरचक में तीन अस्थायी, डंडारी में 15 स्थायी, बखरी में दो अस्थायी, गढ़पुरा में दो अस्थायी तथा नावकोठी में सर्वाधिक 28 जलश्रोतों का अस्थायी रूप से अतिक्रमण कर रखा गया है। जबकि जल जीवन हरियाली अभियान के प्रारंभ होने के बाद से जिला प्रशासन द्वारा मटिहानी में पांच, बरौनी में 25, वीरपुर में पांच, तेघड़ा में पांच, मंसुरचक में 15, भगवानपुर में 14, चेरिया बरियारपुर में 15, छौड़ाही में 12, खोदावंदपुर में 6, बखरी में चार, गढ़पुरा में 13 एवं नावकोठी में आठ जलश्रोतों से अतिक्रमण हटाया गया है।

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