खाद की किल्लत से किसानों ने भाग्य भरोसे छोड़ी खेती

बेगूसराय। प्रखंड क्षेत्र में डीएपी एवं पोटाश खाद की किल्लत हो गई है। इससे किसान परेशान हैं। किसानों का कहना है कि आलू मक्का सरसों गेहूं आदि रबी फसल की खेती के लिए डीएपी एवं पोटाश की जरूरत है परंतु जरूरत के हिसाब से यह खाद उपलब्ध नहीं है। फलत मजबूरी में दूसरी खाद खरीदकर फसल की बोआई करनी पड़ रही है।

By JagranEdited By: Publish:Thu, 02 Dec 2021 07:08 PM (IST) Updated:Thu, 02 Dec 2021 07:08 PM (IST)
खाद की किल्लत से किसानों ने भाग्य भरोसे छोड़ी खेती
खाद की किल्लत से किसानों ने भाग्य भरोसे छोड़ी खेती

बेगूसराय। प्रखंड क्षेत्र में डीएपी एवं पोटाश खाद की किल्लत हो गई है। इससे किसान परेशान हैं। किसानों का कहना है कि आलू, मक्का, सरसों, गेहूं आदि रबी फसल की खेती के लिए डीएपी एवं पोटाश की जरूरत है, परंतु जरूरत के हिसाब से यह खाद उपलब्ध नहीं है। फलत: मजबूरी में दूसरी खाद खरीदकर फसल की बोआई करनी पड़ रही है। क्षेत्र के किसान फसल बोआई के लिए महंगे दरों पर खाद खरीद करने को मजबूर हैं। इन्हें बोआई के लिए डीएपी, एनपीके एवं पोटाश के लिए दर-दर की ठोकरें खानी पड़ रही है। क्षेत्र के किसान अवनीश कुमार सिंह, रमेश कुमार राणा, उपेंद्र महतो, कमल किशोर सिंह, ताराकांत सिंह, नवीन सिंह, चंदन कुमार, चितरंजन सिंह, संजय सुमन, अजीत कुमार मिश्र, रामप्रवेश महतो आदि ने बताया कि क्षेत्र के दुकानदार मनमानी कर रहे हैं। इस शर्त पर खाद देने को तैयार होते हैं कि किसानों को खाद के साथ-साथ बीज एवं कीटनाशक दवाई भी उन्हीं की दुकान से लेना होगा। वह भी पैकेट पर अंकित ऊंचे मूल्य के अनुसार वसूली का दबाव है।

सूत्रों की मानें तो जिन दुकानदारों के पास खाद उपलब्ध है वे डीएपी 1600 से 1800 रुपये प्रति बैग एवं एनपीके 1700 रुपये प्रति बैग की दर से कीमत वसूली कर रहे हैं। मजबूर होकर किसान खाद व्यवसायी से मनमाने मूल्य पर खाद खरीद रहे हैं। इसके लिए व्यवसायी की चमचागिरी करनी पड़ रही है। जिन्हें डीएपी नहीं मिल पा रही है उन्होंने अपनी खेती को भाग्य भरोसे छोड़ दिया है। बीईओ दो-दो प्रखंड के प्रभार में रहने के कारण कभी कृषि कार्यालय तक नहीं पहुंच पाते हैं। हालांकि किसानों के बीच विरोध का स्वर मुखर होना प्रारंभ हो गया है। खाद विक्रेताओं की माने तो आवश्यकता के अनुरूप डीएपी एवं पोटाश उपलब्ध नहीं है।

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