मत-विमत : बढ़ रही है गर्मी के साथ चुनावी चर्चा की तपिश

संवाद सहयोगी छौड़ाही (बेगूसराय) शुक्रवार की दोपहर एकदम गर्म है। बढ़ती गर्मी के सा

By JagranEdited By: Publish:Fri, 19 Apr 2019 06:02 PM (IST) Updated:Fri, 19 Apr 2019 06:02 PM (IST)
मत-विमत : बढ़ रही है गर्मी के साथ चुनावी चर्चा की तपिश
मत-विमत : बढ़ रही है गर्मी के साथ चुनावी चर्चा की तपिश

संवाद सहयोगी, छौड़ाही (बेगूसराय) : शुक्रवार की दोपहर एकदम गर्म है। बढ़ती गर्मी के साथ- साथ चुनावी चर्चा का मिजाज भी काफी गरम सा है। उसमें भी गर्म चाय की दुकान पर तो गर्मागर्म चुनावी चर्चा होना स्वाभाविक है। बरदाहा चौक स्थित सड़क किनारे चाय की दुकान पर बैठे महेश सहनी के माथे से पसीना टपक रहा था। वे आग उगलती धूप से परेशान होकर मन ही मन कुछ बड़बड़ा रहे थे। जब बगल में बैठे राम बाबू साह उनसे बातचीत की तो उन्होंने कहा कि समझ में नहीं आता है। कोई 72 हजार रुपये देने की बात कर रहा है तो कोई राष्ट्रवाद तो कोई आजादी की बात कर रहा है। लेकिन, यहां कि जर्जर सड़क की समस्या की कोई बात नहीं करता। मालूम हो कि पिछले आठ वर्ष से अति व्यस्त छौड़ाही नारायण पीपर- चेरिया बरियारपुर सड़क ठीक करने की मांग हो रही है। लेकिन किसी भी जनप्रतिनिधि ने इस पर ध्यान नहीं दिया। प्रत्येक तीन- चार दिन पर हमारे बाइक का कोई नट बोल्ट टूट जाता है या फिर टायर ही पंचर हो जाता है। आज पुन: टायर पंचर होने पर अभी पत्नी उतर कर गुस्सा होते हुए पैदल हीं घर गई है। यहीं बैठे अंकित वर्णवाल बोले, 72 हजार देने वाला घोषणा पत्र झूठ का पुलिदा है।इसके लिए बजट कहां से आएगा। इस दौरान अश्विनी वर्णवाल का कहना था कि चुनाव में विकास की बातें होनी चाहिए। राफेल पर भी आमजनों के बीच चर्चा हो रही है। सब आमजन के ध्यान भटकाने के लिए अनेक तरह का झूठा प्रचार कर रहे हैं। इस पर राजो दास अपनी राय देते हुए देशद्रोह की धारा समाप्त करने और एयर स्ट्राइक आदि पर अपस में तर्क-वितर्क करते है। चर्चा में शामिल मोहम्मद मंजूर कह रहे हैं कि सब ठीक है लेकिन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को चाहिए कि विकास की भी बात करें। राष्ट्रवाद का हम समर्थन करते हैं पर बेरोजगारी कैसे खत्म करेंगे, यह बताना चाहिए। इस दौरान अनिल राय का मानना था कि चुनाव जीतने के लिए ऐसे वादे न होने चाहिए जो पूरी न हो सके। संजय दास का कहना था कि 72 साल में गरीबी खत्म हुई नहीं, रोजगार देने की जगह जुमला उछाला जा रहा है। कोई भी दल बेरोजगारी हटाने के लिए गंभीर नहीं है।

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