कोरोना से दिनकर पुस्तकालय के सचिव मोनू का निधन
बेगूसराय हर किसी के चहेते राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर ग्राम सिमरिया को दिनकर की स
बेगूसराय : हर किसी के चहेते, राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर ग्राम सिमरिया को दिनकर की साहित्यिक धरती बनाने सहित दिनकर को नई युवा पीढ़ी और बच्चों के बीच पहुंचाने वाले युवा आलोचक एवं प्रखर वक्ता, योग्य शिक्षक, दिनकर स्मृति विकास समिति एवं दिनकर पुस्तकालय के सचिव सिमरिया निवासी 37 वर्षीय मुचकुंद कुमार मोनू का निधन सोमवार की अलसुबह पटना में इलाज के दौरान हो गया। उनके निधन की खबर सुनकर जिले के साहित्यकार, रंगकर्मी एवं प्रगतिशील विचारधारा के बुद्धिजीवी शोक में डूब गए। सोशल मीडिया पर श्रद्धांजलि देने वालों का तांता लगा रहा। वे विगत दो दिनों से पीएमसीएच पटना में भर्ती थे।
बताते चलें कि मुचकुंद कुमार मोनू पिछले 15 दिनों से बुखार एवं खांसी से पीड़ित थे। कोविड-19 का लक्षण दिखने और गंभीर रूप से बीमार होने पर 15 अप्रैल को वे बेगूसराय के निजी क्लीनिक में भर्ती हुए, जहां से बेहतर इलाज के लिए पीएमसीएच पटना में भर्ती कराया गया। वहां वे जिदगी की जंग हार गए। उनका अंतिम संस्कार सिमरिया गंगातट पर किया गया।
कोविड- 19 के प्रोटोकॉल का पालन करते हुए मुखाग्नि देने वाले सहित अन्य काम करने वाले लोगों को बरौनी पीएचसी के द्वारा उपलब्ध कराए गए कोरोना पीपीई किट पहनाकर दाह संस्कार कराया गया। मुखाग्नि उनके ज्येष्ठ भाई सोनू कुमार ने दिया। मौके पर सिमरिया- एक के पूर्व मुखिया बबन सिंह, दिनकर पुस्तकालय के रामनाथ सिंह, लक्ष्मणदेव, प्रवीण प्रियदर्शी, संजीव फिरोज, विनोद बिहारी, अमरदीप सुमन, रंधीर, पिकू सिंह, राजेश कुमार, मनीष कुमार आदि गंगा तट पर मौजूद थे।
दिनकर पुस्तकालय की रीढ़ थे मुचकुंद मोनू
मुचकुंद मोनू दिनकर ग्राम सिमरिया में गरीब किसान रज्जन सिंह के घर पैदा हुए थे। जब वे गर्भ में थे, तभी पिता की अपराधियों ने गोली मारकर हत्या कर दी थी। गरीबी और बेबसी से जीवन जीते रहे। दो भाइयों में वे छोटे थे। पांच वर्ष पूर्व मोनू की शादी तेघड़ा बजलपुरा में धूमधाम से हुई थी। अभी एक ढाई वर्ष का पुत्र नयन प्रकाश के अलावा बूढ़ी मां और पत्नी है। सिमरिया गंगा नदी तट पर पत्नी और मां मोनू को देखते ही बेहोश हो गईं। पत्नी बार-बार कह रही थीं कि मेरा अब क्या होगा, हमको भी मार दो। इस दौरान हर किसी के आंखों से आंसू छलक रहे थे।
सांस्कृतिक आयोजनों के नेतृत्वकर्ता थे मोनू
मुचकुंद कुमार मोनू पिछले सात सालों से दिनकर पुस्तकालय के सचिव पर आसीन थे। वर्ष 2003 में कला संस्कृति की जनपक्षीय संस्था प्रतिबिब से जुड़े और सचिव बनकर सांगठनिक मजबूती प्रदान किया। उन्होंने सांस्कृतिक गतिविधियों में जनपद में अपनी एक अलग पहचान बनाई। वर्ष 2006 में राष्ट्रीय जनमुक्ति पत्रिका में सहायक संपादक के तौर पर लेखन एवं संपादन का कार्य किया। विगत 15 वर्षों से दिनकर पुस्तकालय सिमरिया से सक्रिय रूप से जुड़कर राष्ट्रीय स्तर पर हर साल सांस्कृतिक एवं साहित्यिक आयोजन का नेतृत्व कर दिनकर साहित्य का प्रचार प्रसार करते रहे। सिमरिया को साहित्यिक तीर्थभूमि बनाने में उन्होंने सक्रिय भूमिका निभाई। दिनकर जयंती पर हर वर्ष प्रकाशित स्मारिका का संपादन विगत 10 वर्षों से किया। वर्तमान में वे एचएफसी डीएवी में शिक्षक के तौर पर कार्यरत थे। फिर एक बार दिनकर पुस्तकालय एवं दिनकर को सिमरिया में जीवंत कौन रखेगा, यह यक्ष प्रश्न हर किसी के दिमाग में घूम रहा है। मोनू इतने सहनशील थे कि हर किसी को संस्था से जोड़कर रखते थे। निश्चित रूप से मोनू की कमी सिमरिया सहित बेगूसराय जनपद में खलेगी।