बकरीद आज, ग्राहकों का इंतजार करते रहे दुकानदार

बेगूसराय। मुस्लिम समुदाय का दूसरा सबसे बड़ा त्योहार बकरीद बुधवार को पूरी दुनिया में मनाई जाएगी। कोरोना की मार के कारण ईद के बाद बकरीद का रंग भी लोगों पर नहीं चढ़ सका। जिसके कारण बाजारों में खरीदारों की भारी किल्लत रही।

By JagranEdited By: Publish:Tue, 20 Jul 2021 06:30 PM (IST) Updated:Tue, 20 Jul 2021 06:30 PM (IST)
बकरीद आज, ग्राहकों का इंतजार करते रहे दुकानदार
बकरीद आज, ग्राहकों का इंतजार करते रहे दुकानदार

बेगूसराय। मुस्लिम समुदाय का दूसरा सबसे बड़ा त्योहार बकरीद बुधवार को पूरी दुनिया में मनाई जाएगी। कोरोना की मार के कारण ईद के बाद बकरीद का रंग भी लोगों पर नहीं चढ़ सका। जिसके कारण बाजारों में खरीदारों की भारी किल्लत रही।

शहर के कचहरी चौक के एम अख्तर रोड में लगने वाले बकरा बाजार, सेवई बौर नान रोटी की दुकानों पर उम्मीद से काफी कम ग्राहक पहुंचे। दुकानदारों को यह उम्मीद थी कि ईद की भरपाई वह बकरीद से पूरी कर लेंगे, परंतु बाजार में छाई सुस्ती के कारण उनका सपना अधूरा रह गया। दुकानदारों ने बताया कि मंगलवार मार्केट का अंतिम दिन था। पूरा स्टाक रखा हुआ है, देर शाम हो सकता है ग्राहक आएं, दो चार दिनों की बाजार में जिस तरह से ग्राहकों का आना-जाना रहा, उससे बकरीद की अंतिम शाम भी ग्राहकों के अधिक नहीं आने की ही संभावना है। सेवई, टोपी, रुमाल, इत्र, सूरमा आदि के कारोबारी मो. रूहुल्लाह ने बताया कि ईद से बकरीद के बाजार में थोड़ी बेहतरी है। ईद लाकडाउन में पकड़ा गया था, जबकि बकरीद अनलाक में है। इसलिए पिछले त्योहार की तुलना में इस बार थोड़े अधिक ग्राहक बाजार करने पहुंचे हैं, मगर त्योहार जैसा माहौल नहीं है। लड्डन मियां ने बताया कि नान रोटी और सेवईं का ठेला लगाए थे, कारोबार कुछ खास नहीं रहा, हां, पूंजी निकल गया है। बताते चलें कि बकरीद तीन दिनों तक मनाया जाता है। पति हो गए दिव्यांग, बकरा बेचने पहुंची खातून

पति एक घटना में दिव्यांग हो गए। छोटा-मोटा कारोबार कर घर परिवार चलाते थे, अब घर चलाने की जिम्मेदारी उन पर आ गई है, इसलिए वह मजबूरन बकरा लेकर यहां बेचने आई है। यह कहना था रमजानपुर से आई मो. माजुद्दीन की पत्नी खातून का। खातून अपने दूध पीने वाले बच्चे को गोद में उठाए सुबह से शाम तक बकरा बाजार में सबके साथ अकेली बकरा लिए खड़ी दिखी। उसके पास तीन बकरे थे, दो बिक गए थे, जबकि एक बकरा लेकर वह ग्राहक का इंतजार कर रही थी। उसने बताया कि उसके पास दस हजार के अंदर के तीन बकरे थे, आठ-आठ हजार में दोनों बिके हैं। तीसरा भी उतने में ही बेच कर परिवार संग त्योहार मनाएंगी।

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