बाबू साहेब ! बस बेटी के मरने का कर सकते हैं इंतजार..

बेगूसराय ई नै बचतै हम्मे कहै छिआ एकरा घरे नेने चलो मरबे न करतै की करबै हमरा

By JagranEdited By: Publish:Fri, 04 Jun 2021 09:17 PM (IST) Updated:Fri, 04 Jun 2021 09:17 PM (IST)
बाबू साहेब ! बस बेटी के मरने का कर सकते हैं इंतजार..
बाबू साहेब ! बस बेटी के मरने का कर सकते हैं इंतजार..

बेगूसराय : ई नै बचतै, हम्मे कहै छिआ, एकरा घरे नेने चलो, मरबे न करतै, की करबै, हमरा जिम्मा में पैसा छै, एकरा इलाज कहां से करवैबै। यह शब्द उस पिता के हैं, जिनकी छह वर्षीय पुत्री को 16 दिन पूर्व कुत्ते ने काट लिया है, बच्ची देखने से ही नीम मुर्दा प्रतीत होती है। गरीबी से परेशान पिता उसके इलाज का कोई व्यवस्था नहीं होने के कारण अपनी संतान से हाथ धोने को तैयार हैं। यह नजारा शुक्रवार को सदर अस्पताल में देखने को मिला। उसकी बातें सुनकर वहां पर मौजूद मरीज और स्वास्थ्य कर्मी उसके साथ हमदर्दी दिखाने लगे। एक कर्मी ने बच्ची के साथ आए वृद्ध को पुर्जा लाकर दिया और कहा कि डॉक्टर ने आपको पटना रेफर कर दिया है, बच्ची को लेकर पटना चले जाईये, नहीं तो यह मर जाएगी। बुजुर्ग एम्बुलेंस चालकों के पास गया और लौटकर अपने बेटे से बोला कि चलो घर ही चलते हैं, यह दस हजार रुपया मांगता है, हम कहां से लाकर देंगे। जब उससे मामला पूछा तो बच्ची के पिता बोले, बाबू साहेब, बस बेटी के मरने का इंतजार कर रहे हैं, और क्या कर सकते हैं। जिसके बाद एम्बुलेंस चालक से जाकर भेंट की तो चालक ने पैसे मांग की बातों से साफ इंकार कर गया, फिर आनन फानन में एम्बुलेंस लेकर आया, मगर बच्ची के पिता उसे पटना लेकर जाने को तैयार नहीं थे। दूसरे मरीजों और अस्पताल कर्मियों ने उसे समझाकर एम्बुलेंस पर बैठाया। अस्पताल के एक कर्मी ने बताया कि मटिहानी प्रखंड के सिरनिया महमदपुर गांव निवासी राजीव यादव की छह वर्षीय पुत्री किरण कुमारी के सिर में कुत्ते ने काट लिया था। घटना करीब दो हफ्ते पूर्व हुई है, मगर घर वाले इसका इलाज करवाने में रुचि नहीं दिखा रहे थे, गुरुवार की रात से उसकी तबीयत जब ज्यादा बिगड़ी तो उसे लेकर सदर अस्पताल आए, मगर अब उस बच्ची की हालत काफी नाजुक है।

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