जागरुकता और शिक्षा दिलाएगी बालश्रम से मुक्ति

बेगूसराय। एनएसएस इकाई जीडी कॉलेज द्वारा जूम एप पर 12 जून को एक विशेष वेबिनार का आयोजन किया गया था। कार्यक्रम की अध्यक्षता अंग्रेजी विभाग के अध्यक्ष प्रो. कमलेश कुमार ने की। उन्होंने कहा वर्तमान समय में समाज के इस सबसे खराब मुद्दे को खत्म करने के लिए हम केवल एक चीज कर सकते हैं वह है उन्हें जागरूक और शिक्षित करने की जिम्मेदारी।

By JagranEdited By: Publish:Sat, 12 Jun 2021 11:32 PM (IST) Updated:Sat, 12 Jun 2021 11:32 PM (IST)
जागरुकता और शिक्षा दिलाएगी बालश्रम से मुक्ति
जागरुकता और शिक्षा दिलाएगी बालश्रम से मुक्ति

बेगूसराय। एनएसएस इकाई जीडी कॉलेज द्वारा जूम एप पर 12 जून को एक विशेष वेबिनार का आयोजन किया गया था। कार्यक्रम की अध्यक्षता अंग्रेजी विभाग के अध्यक्ष प्रो. कमलेश कुमार ने की। उन्होंने कहा वर्तमान समय में समाज के इस सबसे खराब मुद्दे को खत्म करने के लिए हम केवल एक चीज कर सकते हैं, वह है उन्हें जागरूक और शिक्षित करने की जिम्मेदारी। प्रो. अरुण कुमार ने कहा कि हमें यह सुनिश्चित करने का संकल्प लेना चाहिए कि हम व्यक्तिगत स्तर पर इसके सहभागी बनें और कम से कम एक बच्चे को इस दुष्चक्र से बाहर कर सकें। बिहार राजपथ प्रतिनिधि राहुल कुमार ने कहा कि सरकार के द्वारा बाल श्रम के विरुद्ध कई नियम एवं कानूनों को पारित किया गया है, लेकिन वह धरातल पर असफल नजर आता है। जीडी कॉलेज एनएसएस की कार्यक्रम अधिकारी डॉ. सहार अफरोज ने धन्यवाद ज्ञापित करते हुए कहा कि जिम्मेदारी कहने और जिम्मेदारी लेने दोनों में काफी अंतर होता है। हम अपने बच्चों से यह उम्मीद करते हैं कि वे जिम्मेदार बनें और स्वयं जिम्मेदारी उठाएं। संचालन पीयूष कुमार ने की। बालश्रम उन्मूलन पर उदासीनता चितनीय : प्रो. संजय गौत

बालश्रमिकों को सामाजिक मुख्यधारा से जोड़ने में सरकार असफल दिख रही है। इस पर समाज के जागरूक वर्ग को चिता करते हुए उसके हल के सुझावों से सरकार को निरंतर अवगत कराना चाहिए। उक्त बातें बालश्रम दिवस पर जारी एक बयान में नागरिक कल्याण संस्थान के सचिव प्रो. संजय गौतम ने कहीं। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार के द्वारा बालश्रमिक पुनर्वास की योजना चलाई जा रही है, मगर इसकी जानकारी लोगों को नहीं है। पिछले दिन भी राजस्थान के चूड़ी उद्योग से बिहार के 72 बालश्रमिकों को रेसक्यू कर के लाया गया था। इसमें बेगूसराय के भी छह बच्चे थे। जिला में 56 बालश्रमिक स्कूल संचालित है, मगर सरकार की उदासीनता के कारण यह सभी स्कूल विगत पांच वर्षों से बंद पड़े हुए हैं।

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