स्वाधीनता आंदोलन के बाद पश्चिम केंद्रित विकास ने हमारी चेतना को प्रभावित किया : प्रो. शशिधर

बेगूसराय। एसबीएसएस महाविद्यालय हिदी विभाग द्वारा शुक्रवार को राष्ट्रीय संगोष्ठी आयोजित किया गया। राष्ट्रीय संगोष्ठी में बतौर संयोजक बोलते हुए डा. नीलेश कुमार ने कहा कि साहित्यकार हमारे स्पंदित होते समय को रचता है और उसको विश्लेषित करता है।

By JagranEdited By: Publish:Fri, 24 Sep 2021 07:46 PM (IST) Updated:Fri, 24 Sep 2021 07:46 PM (IST)
स्वाधीनता आंदोलन के बाद पश्चिम केंद्रित विकास ने हमारी चेतना को प्रभावित किया : प्रो. शशिधर
स्वाधीनता आंदोलन के बाद पश्चिम केंद्रित विकास ने हमारी चेतना को प्रभावित किया : प्रो. शशिधर

बेगूसराय। एसबीएसएस महाविद्यालय हिदी विभाग द्वारा शुक्रवार को राष्ट्रीय संगोष्ठी आयोजित किया गया। राष्ट्रीय संगोष्ठी में बतौर संयोजक बोलते हुए डा. नीलेश कुमार ने कहा कि साहित्यकार हमारे स्पंदित होते समय को रचता है और उसको विश्लेषित करता है। प्रत्येक युग का साहित्यकार अपने समय को भी रचता है और आनेवाले समय को भी।

मुख्य अतिथि बीएचयू हिन्दी विभाग के प्रो. रामाज्ञा शशिधर ने कहा कि हमारा समय चुनौतियों से भरा हुआ है। साहित्य का प्रश्न, भाषा, दर्शन सभी से जुड़ा है। साहित्य हमेशा सत्ता से टकराती रही है। बाजार और पूंजी के बीच फंसकर हमारे समय का अंधेरा और गहरा हो गया है। हमारी जिम्मेदारी है कि सभ्यता विमर्श के साथ-साथ लोकतंत्र निर्माण की प्रक्रिया की शिनाख्त करें। क्योंकि स्वाधीनता आंदोलन के बाद पश्चिम केंद्रित विकास ने हमारी चेतना को प्रभावित किया है। एपीएसएम महाविद्यालय बरौनी के हिदी विभाग के अध्यक्ष डा. सुशील कुमार ने कहा कि समय की पहचान बहुत जरूरी है। 20वीं शताब्दी के आखिरी दशक में अंतरराष्ट्रीय और राष्ट्रीय स्तर पर अनेक परिवर्तन एकसाथ हुए, जिसमें सोवियत संघ का पतन, मंडल कमीशन, एलपीजी माडल की देश में शुरुआत आदि हुई। कार्यक्रम के वक्ता के रूप में बोलते हुए डा. राजकुमार सिंह ने कहा कि सहिष्णु होकर ही हम अपने समय का मूल्यांकन कर सकते हैं। कार्यक्रम की अध्यक्षता प्राचार्य डा. लक्ष्मण झा ने किया तथा धन्यवाद ज्ञापन प्रो. रश्मि शर्मा ने किया। इस अवसर पर गणेशदत्त महाविद्यालय के प्राचार्य डा. राम अवधेश कुमार ने कहा कि साहित्यकार अपने समय की पहचान करके ही साहित्य को रचता है। कार्यक्रम में गणेशदत्त महाविद्यालय से प्रो. कमलेश कुमार, प्रो. अनिल कुमार, डा. शशिकांत पांडेय, डा. विपिन चौधरी, अरमान आनंद, अमित कुमार गुंजन, विवेक कुमार सिन्हा, संजय भगत, माधुरी कुमारी, रॉली कुमारी, रुचि जैन, अशोक कुंवर, धीरज कुमार, भानु चौधरी, अरविद कुमार, सुधीर कुमार आदि मौजूद थे।

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