एनटीपीसी बरौनी में 360 की जगह बनेगी 610 मेगावाट बिजली
बेगूसराय। अपने स्थापना के चौथे वर्ष में बरौनी एनटीपीसी ने एक और बड़ी उपलब्धि हासिल की है। निरंतर सफलताओं पर आगे बढ़ रहे एनटीपीसी ने अब अपनी नौवीं इकाई भी शुरु कर दी है। इससे यह बिहार को 360 की जगह अब 610 मेगावाट बिजली देने में सक्षम हो गई है।
बेगूसराय। अपने स्थापना के चौथे वर्ष में बरौनी एनटीपीसी ने एक और बड़ी उपलब्धि हासिल की है। निरंतर सफलताओं पर आगे बढ़ रहे एनटीपीसी ने अब अपनी नौवीं इकाई भी शुरु कर दी है। इससे यह बिहार को 360 की जगह अब 610 मेगावाट बिजली देने में सक्षम हो गई है।
जानकारी देते हुए एनटीपीसी बरौनी के परियोजना प्रमुख आरके राउत ने बताया कि 72 घंटे के आपरेशन के बाद नौवीं इकाई से भी 250 मेगावाट बिजली का उत्पादन शुरु कर दिया गया है। उन्होंने बताया कि 2018 में बरौनी थर्मल पावर को एनटीपीसी के हवाले किया गया था, तब से निरंतर यह कंपनी विकास की ओर अग्रसर है। वर्तमान में इसकी व्यावसायिक स्थापित क्षमता 360 मेगावाट है। यूनिट नौ के वाणिज्यिक विस्तार के साथ बिहार राज्य की बिजली क्षमता में 250 मेगावाट अतिरिक्त जुड़ जाएगा। एनटीपीसी केंद्रीय उपयोगिताओं से राज्य के औसत दैनिक आवंटन का लगभग 70 प्रतिशत बिजली की आपूर्ति करती है, जो कि चार हजार से 45 सौ मेगावाट के बीच है। श्री राउत ने बताया कि यह सभी कर्मचारियों व एजेंसियों की एकजुटता से काम करने और सभी के एकजुट समर्थन से ही यह संभव हो पाया है। इस अवसर पर जीएम (ओएंडएम) पीबी प्रसाद, जीएम (प्रोजेक्ट) जीएल त्रिपाठी, एके त्रिपाठी, एजीएम (ऑपरेशन), बीपी मेहता, एजीएम (ईईएमजी) सुरजीत घोष, एजीएम (सी एंड आई और ईएमडी) राकेश चौहान, एजीएम (इरेक्शन), एनटीपीसी और बीएचईएल के अन्य अधिकारी उपस्थित थे।
उर्वरकों का संतुलित उपयोग कर कम लागत में अधिक लाभ कमाएं किसान : वैज्ञानिक
बेगूसराय। किसान खेतों में उर्वरकों का संतुलित उपयोग कर कम लागत में अधिक लाभ कमा सकते हैं। उक्त बातें कृषि विज्ञान केंद्र खोदावंदपुर के वरीय वैज्ञानिक सह प्रधान डॉ. रामपाल ने कृषि विज्ञान केंद्र खोदावंदपुर द्वारा वर्चुअल माध्यम से आयोजित उर्वरकों के संतुलित उपयोग विषय पर आयोजित कृषक प्रशिक्षण कार्यक्रम के दौरान कहीं। उन्होंने बताया कि कृषि उत्पादन में उर्वरकों की बढ़ती लागत को देखते हुए इस कार्यक्रम का आयोजन कृषक हित में किया गया। इसका आयोजन देश के सभी कृषि विज्ञान केंद्रों द्वारा एक साथ किया जा रहा है। डॉ. रामपाल ने फसल अवशेष प्रबंधन में हैप्पी सीडर, रोटावेटर, स्ट्रॉबेलर, स्ट्रॉरीपर आदि मशीनों के उपयोग की जानकारी दी।