चांदन में पानी कम होते ही दौड़ने लगी बाइक

बांका। तीन दिनों से बारिश पर पूरी तरह ब्रेक लग जाने से चांदन नदी में पानी का बहाव नियंत्रित हो गया है। नतीजा सोमवार सुबह से ही नदी में बाइक और साइकिल दौड़ने लगी। इसके अलावा बड़ी संख्या में बाजार के दफ्तरों और दुकान में काम करने वाले लोग किनारे पहुंच गमछा के सहारे नदी पार करते दिखे। इसका सिलसिला सोमवार को दिन भर दिखा।

By JagranEdited By: Publish:Mon, 02 Aug 2021 10:03 PM (IST) Updated:Mon, 02 Aug 2021 10:03 PM (IST)
चांदन में पानी कम होते ही दौड़ने लगी बाइक
चांदन में पानी कम होते ही दौड़ने लगी बाइक

बांका। तीन दिनों से बारिश पर पूरी तरह ब्रेक लग जाने से चांदन नदी में पानी का बहाव नियंत्रित हो गया है। नतीजा, सोमवार सुबह से ही नदी में बाइक और साइकिल दौड़ने लगी। इसके अलावा बड़ी संख्या में बाजार के दफ्तरों और दुकान में काम करने वाले लोग किनारे पहुंच गमछा के सहारे नदी पार करते दिखे। इसका सिलसिला सोमवार को दिन भर दिखा।

बाइक सवार नदी में डायवर्जन के पश्मिल से पूरब तक बने बांध से सीधे नदी में कुछ दूर उतर नदी पार कर रहे हैं। इधर, पानी की धारा बांध दिए जाने के कारण पूरब की धारा में पानी बहना बंद हो गया है। इसी होकर राहगीर डायवर्जन पर चढ़कर शहर में प्रवेश कर रहे हैं। इधर, नदी की पूरबी धारा बांधे जाने के बाद दक्षिण-उत्तर डायवर्जन को ठीक करने का काम भी ठीक हो गया है। इसे चौड़ी कर इसमें तीन ह्यूम पाइप सेट किया जा चुका है। मंगलवार सुबह कुछ और पाइप लगाकर शाम तक इस रास्ते से चारपहिया वाहन को पार कराया जा सकता है। काम करा रहे कर्मियों ने बताया कि डायवर्जन को चालू करने का हर संभव प्रयास किया जा रहा है। नदी में पानी कम हो गया है। यह राहत की बात है। इससे सोमवार को डायवर्जन निर्माण का काम काफी तेजी से आगे बढ़ा है।

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दो दिनों की बंदी से गांवों में रसोई पर संकट

चांदन नदी का डायवर्जन आचानक टूट जाने से नदी पार के गांवों में किचन का संकट हो गया है। गांव की दुकानों का जरूरी सामान कम पड़ गया। सब्जियों का भी संकट गहरा गया। सोमवार सुबह नदी से बाइक पार होना शुरु होने खबर उड़ते ही दुकानदार शहर की ओर दौड़े। ना जाने फिर कब बारिश हो जाए और रास्ता फिर बाधित हो जाए। नदी पार के कौशल यादव, भोला सिंह आदि ने बताया कि डायवर्जन टूटने से तीन दिनों से लोग संकट में थे। अभी सबसे खतरा घर में लोगों के बीमार होने से है। कब किसकी तबीयत बिगड़ जाए, कहना मुश्किल है। खासकर प्रसूता और बीमार को शहर लेकर जाने का कोई रास्ता नहीं है।

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