आस्था और विश्वास का केंद्र है बाराहाट दुर्गा मंदिर

बांका। बाराहाट बाजार स्थित दुर्गा मंदिर करीब डेढ़ सौ साल पुराना है। यहां मां के दरबार में माथा टेकने वाले हर श्रद्धालु की मुराद पूरी होती है। इसमें अधिकांश श्रद्धालु अपनी मुरादें पूरी होने पर भैसा की जगह अब पाठा बलि दी जा रही है।

By JagranEdited By: Publish:Tue, 12 Oct 2021 10:32 PM (IST) Updated:Tue, 12 Oct 2021 10:32 PM (IST)
आस्था और विश्वास का केंद्र है बाराहाट दुर्गा मंदिर
आस्था और विश्वास का केंद्र है बाराहाट दुर्गा मंदिर

बांका। बाराहाट बाजार स्थित दुर्गा मंदिर करीब डेढ़ सौ साल पुराना है। यहां मां के दरबार में माथा टेकने वाले हर श्रद्धालु की मुराद पूरी होती है। इसमें अधिकांश श्रद्धालु अपनी मुरादें पूरी होने पर भैसा की जगह अब पाठा बलि दी जा रही है।

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मंदिर का इतिहास

बाजार का यह दुर्गा मंदिर पहले मिट्टी की दीवार और शेड से बनी थी। जिसके बाद बगढुम्बा गांव के जमींदार शालिग्राम सिंह एवं बाराहाट बाजार वासियों के सहयोग से यहां भव्य दुर्गा मंदिर का निर्माण कराया गया। क्षेत्र के कलाकारों में छुपी प्रतिभा को निखारने के लिए मंच दिए जाने के लेकर 1907 में यहां नाट्य कला परिषद का गठन किया गया।

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मंदिर की विशेषताएं

-दुर्गा मंदिर में माथा टेकने वाले की हर मनोकामना पूर्ण होती है।

- मंदिर परिसर में अष्टमी के दिन डलिया चढाने परंपरा है।

-यहां भव्य मेला व रंगमंच पर नाटक का मंचन होता है।

- यहां का मेला आकर्षण का रहता है केंद्र

-भागलपुर के कलाकार राकेश कुमार कर रहे प्रतिमा का निर्माण

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कोट----

शारदीय नवरात्र पर यहां लगने वाले मेले में विधि व्यवस्था एवं रखने के लिए तैयारी हो रही है। कोरोना गाइडलाइन के मुताबिक पूजा संपन्न कराने व शांति व्यवस्था बनाए रखने की तैयारी की जा रही है।

राजेंद्र प्रसाद सचिव।

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कोट--

मां दुर्गे की कृपा यहां आने वाले हर श्रद्धालुओं पर बनी रहती है। जिससे इसकी ख्याति दूर-दूर तक फैली है। शारदीय नवरात्र में यहां पूजा पाठ करने वाले श्रद्धालुओं का ताता लगा रहता है।

गणेशा झा, पंडित

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