विषहरी पूजा अर्चना को लेकर उमड़ी भीड़
बांका। बौंसी बाजार के पाठक टोला स्थित बूढ़ी मां स्थान में मां विषहरी की प्रतिमा स्थापित कर श्रद्धालु पूजा अर्चना करने में जुटे हुए हैं। तीन दिवसीय पूजा अर्चना में स्थानीय श्रद्धालु भक्ति भाव के साथ पूजा कर रहे हैं।
बांका। बौंसी बाजार के पाठक टोला स्थित बूढ़ी मां स्थान में मां विषहरी की प्रतिमा स्थापित कर श्रद्धालु पूजा अर्चना करने में जुटे हुए हैं। तीन दिवसीय पूजा अर्चना में स्थानीय श्रद्धालु भक्ति भाव के साथ पूजा कर रहे हैं। सोमवार को भाद्र पूर्णिमा के अवसर पर श्रद्धालुओं द्वारा मां विषहरी की प्रतिमा का विशेष पूजा अनुष्ठान किया जाएगा। बुधवार को प्रतिमा का विसर्जन किया जाएगा। विषहरी पूजा को लेकर मंदिर में पूजा अर्चना का दौर जारी है। इस अवसर पर मंदिर परिसर को भव्य रूप से सजाया गया है। स्थानीय श्रद्धालु पूजा में बढ़-चढ़कर भाग ले रहे हैं। इसके अलावा प्रखंड क्षेत्र के अन्य ग्रामीण क्षेत्रों में भी विषहरी पूजा मनाई जा रही है। भादो पूर्णिमा के अवसर पर आयोजित होने वाले बौंसी शहर के पाठक टोला समीप भैयाभीठा के भगत सदाशिव मंडल के बुढि़या विषहरी मंडप पर प्रतिमा स्थापित की गई है। आचारज सहित शोभापाथर पुरानी एवं नई विषहरी स्थान के साथ कोलझरा में प्रतिमा स्थापित की गई है। जहां शोभापाथर पुरानी बिसहरी मंदिर में सेवायत बच्ची देवी, प्रकाश कुमार हैं। नई विषहरी मंदिर श्यामबाजार के संस्थापक सदस्य स्वर्गीय बनारसी यादव के स्वजन एवं अन्य के द्वारा पूजा की परंपरा है। वहीं कोलझरा विषहरी मंदिर का पुजारी ज्योतिष राम है। अंग क्षेत्र का प्रसिद्ध बाला-बिहुला विषहरी गीत से वातावरण भक्ति में बना हुआ है। दलिया, सढ़ामोह सहित कई स्थानों पर विषहरी की पूजा-अर्चना कलश स्थापना के साथ किए जाने की परंपरा पुरानी है।
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बाबरचक गांव में विषहरी का तीन दिवसीय मेला प्रारंभ
संवाद सूत्र, रजौन (बांका) : प्रखंड क्षेत्र के बाबरचक में विषहरी माता की प्रतिमा की स्थापना की गई है। बाबरचक विषहरी स्थान पर प्रतिमा स्थापित कर तीन दिवसीय मेला की शुरुआत सोमवार से होगी। युवा नाट्य कला परिषद के सदस्य सादगी के साथ मेला व पूजा सम्पन्न कराने में लगे हैं। सदस्यों का कहना है कि सरकार द्वारा निर्धारित कोरोना गाइडलाइन का पूरी तरह पालन किया जाएगा। कमेटी के सदस्यों ने बताया कि प्रतिमा का विसर्जन 23 सितंबर को किया जाएगा। गांव के बुजुर्ग लोगों ने बताया कि कि इस गांव में करीब दो सौ वर्षो से विषहरी पूजा के अवसर पर प्रतिमा स्थापित कर पूजा अर्चना की परंपरा चली आ रही है।