भाई-बहन के प्रेम का त्योहार करमा-धरमा संपन्न

बांका। भाई-बहन के प्रेम और प्राकृतिक सुंदरता का त्योहार करमा धरमा गुरुवार को जिले भर में हर्ष और उल्लास के वातावरण में बनाया गया।

By JagranEdited By: Publish:Thu, 20 Sep 2018 08:15 PM (IST) Updated:Thu, 20 Sep 2018 08:15 PM (IST)
भाई-बहन के प्रेम का त्योहार करमा-धरमा संपन्न
भाई-बहन के प्रेम का त्योहार करमा-धरमा संपन्न

बांका। भाई-बहन के प्रेम और प्राकृतिक सुंदरता का त्योहार करमा धरमा गुरुवार को जिले भर में हर्ष और उल्लास के वातावरण में बनाया गया। इसको लेकर गांव-गांव में उत्सव का माहौल है। लड़कियों ने सुबह से ही घर के बाहर सुंदर तालाब का निर्माण किया। इसे खजूर के पत्तों से आकर्षक तरीके से सजाया गया। शाम के वक्त इसमें विधि पूर्वक पूजा अर्चना की गई। बांका शहर के करहरिया, विजयनगर, मुर्गीडीह आदि में इसका आयोजन दिखा।

रजौन: प्राकृतिक पर्व करमा धरमा को लेकर घर के आगे पोखर बना कर इसे आकर्षक ढंग से सजाया गया। शाम को तालाब के किनारे बच्चियों ने फल पकवान आदि के साथ बैठकर करमा धरमा का लोक कथा का पान किया। करमा धरमा को लेकर रजौन पुनसिया, नवादा व बामदेव बाजार में फल, पूजा सामग्री की खरीदारी के लिए भीड़ देखी गई। करमा धरमा सकहारा, विष्णुपुर, लकड़ा, पड़घड़ी, खैरा, दुर्गापुर, बामदेव, उपरामा, कठौन, रूपसा, कोतवाली, ¨सहनान, अमहरा आदि में भी मनाया गया।

चांदन: बुधवार को नहाय खाय के साथ शुरु करमा धरमा गुरुवार शाम पूजा अर्चना के साथ संपन्न हो गया। शाम को भाई ने जंगल से कर्मा का डाल लाकर बहनों को दिया। जिसे बहनों ने तालाब में लगाया। बहनें आधी रात तक नाचते गाते पूजा पाठ कर भाई की मंगल कामना की। सूर्योदय से पूर्व कर्मा की डाली को नदी या पोखर में प्रवाहित कर इसका समापन होता था।

पंजवारा : अंग व आदिवासी क्षेत्र का लोक पर्व करमा-धरमा गुरुवार को परंपरागत तरीके से मनाया गया। इस मौके पर कन्याओं ने आस्थानुसार व्रत धारण कर सायंकाल में करमा-धरमा पूजन रीति रिवाज के साथ किया। त्योहार को लेकर खासकर ग्रामीण अंचल में गहमागहमी व उत्साह का वातावरण छाया रहा।

कटोरिया: बाघमारी गांव में भादो एकादशी पर भाई-बहन के प्रेम का प्रतीक पर्व कर्मा-धर्मा गुरुवार को पारंपरिक ढंग से मनाया गया। गांव की गलियों से लेकर बाजार के मुहल्ले भी कर्मा करने वाली व्रती बहनों की गीत से गूंज उठा। बहनों द्वारा घर के आंगन में ही तालाब खोदकर उसे कदम पेड़ की डाली, खजूर के पत्तों, फूलों एवं कुश घास से आकर्षक ढंग से सजाया गया। बहनों ने कर्म-धर्म दो भाईयों की कथा सुनने के बाद विधि-विधान से फल व पकवान से सजी थाल लेकर पोखर के किनारे पूजा-अर्चना की। कठौन, राधानगर, भैरोगंज, सूईया, करझौंसा आदि में भी कर्मा का पर्व धूमधाम से संपन्न हुआ।

जयपुर : करमा पर्व जयपुर क्षेत्र में धूमधाम से मनाया गया। कुरुमडार कुरूमडार चलउ ससुराल गीत पर कुरूम का डाली लाने के दौरान गांव की युवतियों ने नृत्य कर जमकर मस्ती की। देर शाम बूढ़ी घाट की दर्जनों महिला एवं युवतियां पास के जंगल से कुरुम का डाल ले जा रही थी। इसी दौरान पारंपरिक गीतों का गायन हुआ। जयपुर क्षेत्र के नारायणपुर गांव में भी गांव की युवतियों ने अलग-अलग टोलों में तालाब बनाकर पारंपरिक करमा मनाया।

बौंसी : करमा को लेकर जगह-जगह छोटे तालाब का निर्माण कर फूल पत्तियों से सजाया गया। बालिकाओं ने डलिया चढ़ा पूजा अर्चना की। रेलवे स्टेशन रोड के रामनगर में पूजा, रोशनी आदि बालिकाओं ने करमा पर्व व्रत की कथा पर गांठ बांधने और खोलने का धार्मिक अनुष्ठान पूरा किया। श्यामबाजार में रामविलास पंडित, किसन पंडित, उमेश चौधरी आदि ने अलग-अलग स्थानों के करमा पर्व स्थल पर कथा सुनाया।

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