आस्था का केंद्र है गोसाईंचक का चैती दुर्गा मंदिर

बांका। प्रखंड क्षेत्र के नवादा खरौनी पंचायत स्थित गोसाईचक का दुर्गा मंदिर 1976 के समय से शक्ति एवं भक्ति का केंद्र रहा है। इस मंदिर के प्रति लोगों के दिलों में भावनात्मक रूप से लगाव रहा है।

By JagranEdited By: Publish:Fri, 16 Apr 2021 10:15 PM (IST) Updated:Fri, 16 Apr 2021 10:15 PM (IST)
आस्था का केंद्र है गोसाईंचक का चैती दुर्गा मंदिर
आस्था का केंद्र है गोसाईंचक का चैती दुर्गा मंदिर

बांका। प्रखंड क्षेत्र के नवादा खरौनी पंचायत स्थित गोसाईचक का दुर्गा मंदिर 1976 के समय से शक्ति एवं भक्ति का केंद्र रहा है। इस मंदिर के प्रति लोगों के दिलों में भावनात्मक रूप से लगाव रहा है। यहां 45 वर्षों से चली आ रही मां दुर्गा की पूजा अर्चना एवं सप्तशती का पाठ की परंपरा चली आ रही है। पर कोरोना की दूसरी लहर के कारण पिछले साल की तरह इस साल भी सादगी के साथ मां की पूजा अर्चना की जाएगी।

इस मंदिर के निर्माण के बारे में बिदेश्वरी प्रसाद सिंह ने बताया कि 1975 में गांव के लोग मेला देखने अमरपुर क्षेत्र के भंडारवन गांव गए थे। पूजा अर्चना करने के दौरान अपने साथ हुए अपमान के कारण इन लोगों ने मां की पूजा अर्चना करने अपने गांव में ही ठान लिया और तब से लेकर आज तक हर साल चैत्र नवरात्र में यहां मां की पूजा अर्चना होने लगी। शुरुआत में मंदिर मिट्टी के कच्चे मकानों की थी। पर 2006 में मां के भक्तों ने उनके मंदिर को पक्का मकानों में तब्दील कर दी। मंदिर को दान में दो तालाब मिले हैं। इन तालाबों में मछली पालन की आती है। मछली की बिक्री से जो आमदनी होती है उससे नवयुवक संघ द्वारा मंदिर की देखरेख एवं पूजा अर्चना की जाती है।

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बोले पुरोहित

मंदिर के कुल पुरोहित जयप्रकाश झा एवं आचार्य बलराम मिश्रा ने बताया कि जब से मंदिर का निर्माण किया गया है। तब से लेकर आज तक हम दोनों यहां मां की प्रतिमा का पूजा पाठ करा रहे हैं। वर्तमान में सुनील कुमार सिंह मंदिर के मुख्य कर्ताधर्ता है। खैरा-नवादा बाजार मार्ग पर गोसाईचक में स्थित चैती दुर्गा मंदिर में पूरे विधि विधान से मां की उपासना की जाती है। कहा जाता है कि जो भक्त सच्चे मन से मन्नतें मांगते हैं उनकी मनोकामना अवश्य पूरी होती है।

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