डासोडीह गांव के तालाब का मिट रहा अस्तित्व

बांका। जिले के ऐतिहासिक मंदार के इर्द-गिर्द गांवों में सैकड़ों तालाब है लेकिन निगरानी नहीं होने की वजह से वजूद मिटता जा रहा है।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 27 May 2020 10:55 PM (IST) Updated:Thu, 28 May 2020 06:05 AM (IST)
डासोडीह गांव के तालाब का मिट रहा अस्तित्व
डासोडीह गांव के तालाब का मिट रहा अस्तित्व

बांका। जिले के ऐतिहासिक मंदार के इर्द-गिर्द गांवों में सैकड़ों तालाब है, लेकिन निगरानी नहीं होने की वजह से वजूद मिटता जा रहा है। वैसे तो इलाके में तालाब गांवों की शोभा बढ़ाने के साथ किसानों के व लोगों की पानी की जरूरतें भी पूरी करता है। वर्तमान समय में कई तालाब का अस्तित्व मिटने की कगार पर पहुंच चुका है।

ऐसे ही उपेक्षा के शिकार डासोडीह गांव में स्थित तालाब के पानी का लोग इस्तेमाल नहीं कर पा रहे हैं। ग्रामीण अभी भी सरकार से तालाब का विकास कराने की उम्मीद लगाए बैठे हैं, जिससे भविष्य में उन्हें पानी संकट का सामना न करना पड़े। कुछ वर्ष पूर्व यहां के ग्रामीण इस तालाब का उपयोग अपने रोजमर्रा की जिदगी में करते थे। यहां तक कि ग्रामीण इस तालाब का पानी पीने के लिए भी उपयोग करते थे। प्रखंड मुख्यालय से महज सात किलोमीटर दूर गांव के नाम से जुड़ा डासोडीह तालाब सदियों तक लोगों की पानी की जरूरतें पूरी करता रहा। पशुओं के लिए अहम जलस्त्रोत रहा। तालाब का रखरखाव नहीं होने से अब इसका पानी दूषित हो गया है।

स्थानीय निवासी भेदो पंडित, रामकुंड पंडित, हरदेब पंडित ने कहा कि एक ओर जहां सरकार के द्वारा जल जीवन हरियाली योजना के तहत सौंदर्यीकरण किया जा रहा है। बावजूद यहां हालात इतर हैं। लगातार अनदेखी के चलते तालाब का पानी कीचड़ में तब्दील हो चुका है और इसका ऊपरी सतह जलकुंभी से पट गया है। इसके विकास के लिए बनाई गई योजना कागजों में दफन होकर रह गई है। ग्रामीणों ने बताया कि गांव में यही एक तालाब था, जो साल भर साफ पानी से भरा रहता था। तालाब से गाद निकाली जाए तो फिर अपने पुराने स्वरूप में आ सकता है।

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कोट

ब्लॉक के अधिकार क्षेत्र में आने वाले सभी तालाब विकसित करने के लिए प्लान में रखा गया है। इस तालाब का भी जीर्णोद्धार के लिए वरीय अधिकारी का ध्यान आकृष्ट कराते हुए विभाग को लिखा जाएगा।

शरद कूमार मंडल, सीओ

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