24 लाख की आबादी का 71 चिकित्सक देख रहे हाल
बांका। एक छोटी सी बड़ी बात है स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मन का विकास होता है। जब तक हमारा संसाधन ही स्वस्थ नहीं रहेगा तब किसी विकास की बात पूरी तरह बेमानी साबित होगी।
बांका। एक छोटी सी बड़ी बात है, स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मन का विकास होता है। जब तक हमारा संसाधन ही स्वस्थ नहीं रहेगा, तब किसी विकास की बात पूरी तरह बेमानी साबित होगी।
बांका के पिछड़ेपन की बड़ी वजह में एक इसकी स्वास्थ्य सेवाओं का बुरा हाल भी कम जिम्मेदार नहीं है। विश्व स्वास्थ्य संगठन बताता है कि किसी भी स्वस्थ्य समाज या देश के लिए एक हजार की आबादी पर एक चिकित्सक की तैनाती आवश्यक है। लेकिन अपने देश के साथ बिहार भी चिकित्सकों की कमी का संकट लंबे समय से झेल रहा है। अपने देश में 11 हजार की आबादी पर एक चिकित्सक तो बिहार के पास 28 हजार की आबादी पर एक चिकित्सक हैं, लेकिन बांका जिला की स्वास्थ्य सुविधा इससे भी बदहाल है। पर्याप्त संसाधनों के बावजूद चिकित्सकों की कमी के कारण इसका सारा किया धरा बेकार हो जाता है। जिला में अभी नए चिकित्सकों की तैनाती के बाद भी 32 हजार की आबादी का स्वास्थ्य जांचने के लिए एक चिकित्सक है। अब एक चिकित्सक 32 हजार आबादी की कैसी चिकित्सा करता होगा, इसका केवल अंदाजा लगाया जा सकता है। हालत यह है कि सरकारी अस्पतालों का प्रसव पूरी तरह एएनएम के भरोसे हैं। कोरोना कोविड सेंटर से लेकर दुर्घटना के शिकार मरीजों का घाव तक आयुष चिकित्सक धो रहे हैं।
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167 स्वीकृत चिकित्सक पद भी नहीं हो सकी तैनाती
जिला चिकित्सकों की कमी का लंबे समय से संकट झेल रहा है। पिछले महीने तक जिला के पास तैनात चिकित्सकों की संख्या 49 तक सिमटी हुई थी। कोरोना काल में चिकित्सकों का संकट देख सरकार ने बहाली निकाली। इसमें बांका को 40 नया चिकित्सक मिला। इसमें अबतक केवल 29 ने ही योगदान किया। इसमें भी सात शिक्षक योगदान के साथ ही अध्ययन अवकाश में पटना चले गए। यानी अभी जिला के पास 71 चिकित्सक उपलब्ध हैं। नई तैनाती के बाद भी 24 लाख की आबादी वाले बांका में एक चिकित्सक पर 32 हजार आबादी का भार पड़ रहा है। जबकि जिला के पास चिकित्सकों का 167 पद काफी समय से स्वीकृत है।
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सुविधा प्रसव और जख्म धोने तक सीमित
सरकारी अस्पताल प्रसव केंद्र तक ही सीमित हो गया है। प्रसव भी महिला चिकित्सक नहीं बल्कि, एएनएम के भरोसे होता है। कहीं स्थिति बिगड़ने पर कोई पुरुष चिकित्सक इलाज करते हैं। अधिकांश अस्पतालों में महिला चिकित्सकों की तैनाती ही नहीं है। सदर अस्पताल तक में इसकी नियमित सुविधा नहीं मिल पाती है। वहीं मारपीट या दुर्घटना में जख्म तक तो बात ठीक है, लेकिन टहलने के दौरान भी अगर आपका हाथ टूट जाए, तो सदर अस्पताल तक में इसका इलाज नहीं है। ऐसे मरीजों को हड्डी रोग विशेषज्ञ नहीं रहने पर भागलपुर रेफर करना पड़ता है।
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स्वास्थ्य सुविधा एक नजर में
सदर अस्पताल-एक
रेफरल अस्पताल- तीन
सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र- पांच
प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र- तीन
अतिरिक्त स्वस्थ्य केंद्र- 31
उप स्वास्थ्य केंद्र- 251
चिकित्सक की उपलब्धता- 71
आयुष चिकित्सक-22
एएनएम-450