पराली वाले खेतों में करे हैप्पी सीडर से मूंग की बोआई

बांका। फसल कटाई में दिन प्रतिदिन मजदूरों की कमी होती जा रही है। ऐसे में किसानों के लिए कंबाइन हार्वेस्टर से फसल की कटाई करना ज्यादा आसान हो गया है।

By JagranEdited By: Publish:Fri, 16 Apr 2021 10:09 PM (IST) Updated:Fri, 16 Apr 2021 10:09 PM (IST)
पराली वाले खेतों में करे हैप्पी सीडर से मूंग की बोआई
पराली वाले खेतों में करे हैप्पी सीडर से मूंग की बोआई

बांका। फसल कटाई में दिन प्रतिदिन मजदूरों की कमी होती जा रही है। ऐसे में किसानों के लिए कंबाइन हार्वेस्टर से फसल की कटाई करना ज्यादा आसान हो गया है। मशीन द्वारा फसल तैयार करने के बाद खेतों में पराली की समस्या हो जाती है। ऐसे में किसानों को इसे हटाने में ज्यादा परेशानी होती है। इससे मजदूरी खर्च बढ़ने से किसानों को लागत अधिक हो जाती है। ऐसे में किसान पराली वाले खेतों में हैप्पी सीडर मशीन से मूंग की बोआई कर सकते हैं।

केविके के मृदा विज्ञानी संजय कुमार मंडल ने बताया कि जलवायु अनुकूल कृषि कार्यक्रम के तहत चयनित जिले के रजौन प्रखंड अंतर्गत उपरामा, कठौन, भूसिया, लीलातरी, बसुहारा गांवों में ढाई सौ एकड़ में मूंग की बोआई परंपरागत विधि से हटकर की जा रही है। जो किसानों के लिए काफी फायदेमंद साबित हो रही है। इस विधि से बोआई में पराली लगे खेत में मूंग की बोआई हैप्पी सीडर मशीन से की जा रही है। कंबाइन हार्वेस्टर से गेहूं की कटाई की गई खेत में पराली की मात्रा ज्यादा होने के कारण बोआई करना संभव नहीं हो पाता है। ऐसे में हैप्पी सीडर के द्वारा सफलतापूर्वक मूंग की बुआई सूखे खेत में कर दी जाती है। बुआई के बाद सिचाई कि जाती है। इस विधि में बीजों का अंकुरण अधिकाधिक मात्रा में होता है। पौधे की संख्या खेत में ज्यादा दिखती है। पानी की भी बचत होती है। इसकी तुलना अगर हम परंपरागत विधि से करें तो परंपरागत विधि में खेत की सिचाई करने के बाद जुताई के लायक नमी बनाना होता है। इसमें आठ से दस दिन का बोआई में विलंब होता है। बोआई के बाद जल्द ही सिचाई की आवश्यकता पड़ती जबकि इस विधि से बोआई में तुरंत सिचाई की आवश्यकता नहीं पड़ती इसके साथ ही दस दिन पूर्व फसल तैयार हो जाती है।

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