आशा दीदियों को सुरक्षित गर्भपात का दिया गया प्रशिक्षण

बांका। सुरक्षित गर्भपात कानूनी तौर पर वैध है या नहीं इस बात की जानकारी आज भी ग्रामीण क्षेत्रों की महिलाओं को नहीं है। इसी जानकारी देने के उद्देश्य से चांदन प्रखंड में आईपास डेवलपमेंट फाउंडेशन के तत्वावधान में आशा दीदियों को प्रशिक्षण दिया गया।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 27 Oct 2021 10:02 PM (IST) Updated:Wed, 27 Oct 2021 10:02 PM (IST)
आशा दीदियों को सुरक्षित गर्भपात का दिया गया प्रशिक्षण
आशा दीदियों को सुरक्षित गर्भपात का दिया गया प्रशिक्षण

बांका। सुरक्षित गर्भपात कानूनी तौर पर वैध है या नहीं, इस बात की जानकारी आज भी ग्रामीण क्षेत्रों की महिलाओं को नहीं है। इसी जानकारी देने के उद्देश्य से चांदन प्रखंड में आईपास डेवलपमेंट फाउंडेशन के तत्वावधान में आशा दीदियों को प्रशिक्षण दिया गया।

इस दौरान आइपास के रिसर्च एंड ट्रेनिग कोआर्डिनेटर रितेश रंजन ने सुरक्षित गर्भ समापन और गर्भपात कानून के बारे में जानकारी दी। उन्होंने कहा कि कोरोना काल में कई महिलाएं अनचाहे रूप से गर्भवती हो गईं। कोरोना के कारण वह अपना सुरक्षित गर्भपात भी नहीं करा पाई। सरकारी अस्पतालों में मिल रही सुविधाओं से वह वंचित रह गईं। लिहाजा उन महिलाओं का गर्भ अब पहली तिमाही से दूसरी तिमाही में प्रवेश कर चुका है। इसलिए उनका सुरक्षित तरीके से चिकित्सकीय परामर्श आवश्यक है। इससे वह सुरक्षित तरीके से अपना गर्भपात करा सकेंगी। इसे लेकर समाज में जागरूकता लानी होगी। इस पर सभी लोगों को प्रयास करने की जरूरत है।

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सुरक्षित गर्भपात को लेकर स्वजनों को ध्यान देने की जरूरत:

रितेश रंजन ने कहा कि मेडिकल टर्मिनेशन फ प्रेग्नेंसी (एमटीपी) एक्ट -1971 के तहत 20 सप्ताह तक के गर्भ को समाप्त करने की कानूनी तौर पर इजाजत है। 1971 में बने इस कानून को लेकर हालांकि कुछ शर्तें भी रखी गई हैं। इसे लेकर परिजनों को खास ध्यान देने की आवश्यकता है। बिचौलिये के संपर्क में नहीं पड़ना चाहिए। समस्या होने पर पास के सरकारी अस्पताल से संपर्क करना चाहिए। सरकारी अस्पतालों में कानूनी तौर पर नि:शुल्क गर्भपात की सुविधा है।

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