न्यायालय ने बेटियों को दिया बराबरी का हक

बांका। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को पिता की संपत्ति में बेटी को भी समान अधिकार का फैसला सुनाकर बेटा-बेटी में समानता को धरातल पर ला दिया है।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 12 Aug 2020 10:37 PM (IST) Updated:Wed, 12 Aug 2020 10:37 PM (IST)
न्यायालय ने बेटियों को दिया बराबरी का हक
न्यायालय ने बेटियों को दिया बराबरी का हक

बांका। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को पिता की संपत्ति में बेटी को भी समान अधिकार का फैसला सुनाकर बेटा-बेटी में समानता को धरातल पर ला दिया है। बुधवार को जब शहर की महिलाओं से इस संदर्भ में दैनिक जागरण ने बातचीत की तो बताया कि इस फैसले का स्वागत किया गया है। कहा कि अब बेटा-बेटी एक समान का नारा बुलंद होगा।

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महिलाओं की राय

सुप्रीम कोर्ट का फैसला एकदम सही है। अब इस फैसले से बेटी पराई घर की नहीं होगी। बेटा और बेटी में समान अधिकार से दोनों एक समान हो गए हैं। पहले इसका मालिकाना हक सिर्फ बेटा को ही मिलता था। पर अब यह कानून आने से बेटी को न्याय मिलेगा।

सुकृति घोष, युवती

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सुप्रीम कोर्ट का निर्णय सही है। पर अगर पिता की संपत्ति में बिना किसी विवाद का बटवारा में हक मिलता है। पिता अगर बेटी को हिस्सेदारी देने में सक्षम हैं तो अब भाई मुकदमा का सहारा नहीं लेंगे। पुराने सोच को न्यायालय के फैसले ने बदल दिया है। बेटी को भी खुशी है कि अब संपत्ति में बराबरी की हिस्सेदारी मिलेगी।

नूतन रंजन, संगीत शिक्षिका

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बेटी को समान हक मिले। इसके लिए सुप्रीम कोर्ट ने पैतृक संपत्ति पर बेटी को बराबरी का हिस्सेदारी दिया है। यह स्वागत योग्य है। निश्चित रूप से इस फैसले से देश में समानता लाएगी। साथ ही इस फैसले से नारी मजबूत बनेगी।

रेखा वर्मा, सामाजिक कार्यकर्ता

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पिता की संपत्ति पर बेटा और बेटी का सामान अधिकार है। बदलते दौर में लोग बेटा और बेटी में कोई फर्क नहीं होगा। केंद्र की सरकार भी खासकर महिलाओं के लिए उचित कदम उठा रही है। इससे पहले भी तीन तलाक जैसे मामले से मुस्लिम महिलाओं को न्याय दिलवाया है। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने इस तरह का फैसला लाकर महिलाओं का सम्मान किया है।

डॉली गुप्ता, जिलाध्यक्ष, भाजपा महिला मोर्चा

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न्यायालय का फैसला स्वागत योग्य है। बेटिया अब पराया धन नहीं होगी। कई मामले में पिता की संपत्ति को लेकर गोतिया भाई भी विवाद करने लगता था। पर न्यायालय के फैसले से बेटियां मजबूत हुई है। यह स्वागत योग्य कदम है।

नीलू कुमारी

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