धनकटनी से खेत उत्सवी, खलिहानों पर मायूसी

बांका। जेठौर पहाड़ के समीप चांदन नदी का किनारा। बांध की पक्की सड़क पर गुजर रही धान फसल से लदी बैलगाड़ी की कतार।

By JagranEdited By: Publish:Tue, 01 Dec 2020 09:53 PM (IST) Updated:Tue, 01 Dec 2020 09:53 PM (IST)
धनकटनी से खेत उत्सवी, खलिहानों पर मायूसी
धनकटनी से खेत उत्सवी, खलिहानों पर मायूसी

बांका। जेठौर पहाड़ के समीप चांदन नदी का किनारा। बांध की पक्की सड़क पर गुजर रही धान फसल से लदी बैलगाड़ी की कतार। गाड़ीवान का बैलों से संवाद अहा..चल, देखो..है..रे..है.. सुनसान सड़कों का सन्नाटा चीर रहा है। बैलों के गले की घंटी और बाली से लटक रही धान झुम-झुम कर मधुर तान छोड़ रही है। पूछने पर गाड़ीवान तपाक से बोल पड़े-अब सिर पर बोझा ढोने का जमाना गया। बैलगाड़ी भी किसानी के इसी काम से जिंदा है।

धनकटनी का यह सुखद आनंद आपको अभी हर तरफ दीख जाएगा। कहीं मशीन तो कहीं हाथ से ढंगनी हो रही है। किसान जल्दी खेत खाली हो जाए, ताकि समय में रबी की बुआई हो सके, इसमें लगे हैं। अच्छी फसल देख किसानों की खुशी का ठिकाना नहीं है, मगर खलिहान पर फसल तैयार होते ही किसानों का चेहरा मायूस हो जा रहा है। व्यापारी इसकी कीमत 11 से 12 सौ रुपये तक ही दे रहा है, जबकि दो-तीन साल पहले ही खुले बाजार में धान की कीमत 14-15 सौ रुपये क्विंटल रही। इस बार इसके बढ़कर 16-17 सौ होने की उम्मीद थी। सरकारी दर 1868 हो गया है। पर किसानों के लिए सब बेकार।

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किसान आंदोलन के पैरोकारों की मुंह बंद

देश किसान आंदोलन से गरम है। इस पर सियासत भी खूब हो रही है। बांका का सोशल साइट भी इसमें पीछे नहीं है। जिले में किसानों की दशा पंजाब और हरियाणा के किसानों से भी बेहद खराब स्थिति में है। धान की अधिकतम मूल्य की बात कौन करे, यहां धान को इसका न्यूनतम समर्थन मूल्य 1868 रुपये भी हासिल हो जाए, तो किसान सरकार और प्रशासन की जय जयकार कर उठेंगे। तैयार धान बेचना किसानों की मजबूरी है। मगर 1868 रुपये क्विंटल वाला धान 12 सौ रूपया में बेचने पर उसका खून पानी हो जा रहा है।

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सरकारी क्रय केंद्र खुलना अभी सपना

सहकारिता कार्यालय धान खरीद शुरु करने के लिए प्रयास करने का दावा कर रही है। सरकार ने बांका को 80 हजार एमटी धान खरीद का लक्ष्य भी दे दिया है। खरीद कब तक शुरू हो पाएगा, कोई नहीं बता पा रहा है। नवंबर में शुरू होने वाली खरीद अब दिसंबर शुरु होने पर भी शुरु नहीं हो सकी। रवैया ऐसा कि इस साल खरीद शुरू हो जाए तो यह भी बड़ा आश्चर्य होगा। अभी जिले से हर दिन दौ सौ ट्रक धान विभिन्न बाजारों से झारखंड का बंगाल का चावल मील पहुंच रहा है।

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कोट

जल्द क्रय केंद्र खोलने का प्रशासन सारा प्रयास कर रहा है। पैक्स से खरीद के लिए डिमांड मांगा गया है।

अरूण कुमार, डीसीओ

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