धान पर मधुआ का हमला, किसानों की बढ़ी चिता
बांका। इस बार मानसून समय से प्रवेश करने पर जिला में शतप्रतिशत धान की रोपाई हुई। किसानों को इस बार धान की फसल अछी होने से किसान काफी खुश थे लेकिन किसानों के खेतों में लहलहाती धान की फसलों पर कीटों का आक्रमण शुरू हो गया है।
बांका। इस बार मानसून समय से प्रवेश करने पर जिला में शतप्रतिशत धान की रोपाई हुई। किसानों को इस बार धान की फसल अच्छी होने से किसान काफी खुश थे, लेकिन किसानों के खेतों में लहलहाती धान की फसलों पर कीटों का आक्रमण शुरू हो गया है। स्वर्णा, संभा, सोनम आदि किस्म के धान में भूरा मधुआ कीट का प्रकोप दिखने लगा है।
फसल को कीटों से बचाने के लिए किसान तरह-तरह के पाउडर का उपयोग कर खेतों में छिड़काव कर रहे हैं, लेकिन इसका असर बहुत ज्यादा नहीं दिख रहा है। सावन में बारिश नहीं होने से फसलें प्रभावित होने लगी थी, जिसकी चिता किसानों को सताने लगी थी। वहीं भादो में अच्छी बारिश से फसल को संजीवनी मिली। इसके चलते खेतों में फसलें लहलहाने लगी। फसलों में धान की बालियां निकलने लगी, लेकिन आखिरी समय में कीट के प्रकोप से सैकड़ों एकड़ फसल प्रभावित होने लगी है।
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उपज पर पड़ेगा सीधा असर
खेत में कीड़ों को देखकर किसानों की चिता बढ़ने लगी है। रजौन के मझगांय गांव के किसान जवाहर प्रसाद राव, मनोहर मिस्त्री, अशोक प्रसाद राव, रमण कुमार आदि किसानों ने बताया कि धान की फसल पर रोग का प्रकोप तेजी से फैल रहा है। धान के पत्ते जल रहे हैं, वृद्धि पूरी तरह रुक गई है। पौधे लाल होकर सड़ने लगे हैं। फसल को बचाने प्रयास जारी है, लेकिन सफलता नहीं मिल पा रही है।
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सही समय पर करें उपचार
कृषि विज्ञान केंद्र के विज्ञानी रघुवर साहू ने बताया कि भूरा मधुआ कीट धान की बाली निकलने के समय लगता है। यह छोटा-छोटा उड़ने वाला कीड़ा होता है। यह बहुत तेजी से फैलता है। इसका प्रकोप दिखते ही इमिडाक्लोरोपिड 17.8 फीसद एक मिली दवा तीन लीटर पानी में मिलाकर इसका छिड़काव करना चाहिए। जिन फसल में गाभा निकल गया है, उसमें दवाई छिड़काव की आवश्यकता नहीं है, लेकिन जिनके धान में अभी गाभा निकल रहा है उसमें दवाई का छिड़काव कर उसे बचाया जा सकता है। हालांकि अभी लगभग सभी धान में गाभा निकल गया है। वहीं कुछ किसान जिन्होंने शुरू में धान की बोआई की थी उनका धान पककर तैयार हो गया है।