नहीं हो रही धान की खरीद, कुछ पैक्स कर रहे धान का स्टॉक

बांका। प्रखंड क्षेत्र के किसान कुछ पैक्स की लूट संस्कृति से तंग आ चुके हैं। पैक्स में धान की खरीद अभी तक नहीं हो रही है।

By JagranEdited By: Publish:Tue, 01 Dec 2020 10:01 PM (IST) Updated:Tue, 01 Dec 2020 10:01 PM (IST)
नहीं हो रही धान की खरीद, कुछ पैक्स कर रहे धान का स्टॉक
नहीं हो रही धान की खरीद, कुछ पैक्स कर रहे धान का स्टॉक

बांका। प्रखंड क्षेत्र के किसान कुछ पैक्स की लूट संस्कृति से तंग आ चुके हैं। पैक्स में धान की खरीद अभी तक नहीं हो रही है। इस कारण किसान औने-पौने भाव में धान बेचने को विवश हो रहे हैं, जबकि कुछ पैक्स बिचौलियों के माध्यम से धान खरीद कर स्टॉक कर रहे हैं।

पैक्स सूत्रों ने बताया कि स्टॉक के कारण पैक्स में धान की अधिप्राप्ति शुरू होने पर पैक्स अध्यक्ष फर्जी रसीद एवं फर्जी किसान के नाम से अधिक दर पर बेच सके। किसानों को धान की फसल को तैयार कर घर लाने, रबी की खेती के लिए खाद बीज खरीदने एवं अन्य जरूरी काम के लिए तैयार फसल को बेचना जरूरी है, लेकिन अभी पैक्स धान की खरीदारी करने को तैयार ही नहीं। पैक्स में 18 सौ रुपये क्विंटल के न्यूनतम समर्थन मूल्य पर बिकने वाला धान किसान मात्र एक हजार से 1100 रुपये क्विंटल दर पर बिचौलिये के हाथ बेचने को विवश हैं। इस संबंध में प्रखंड सहकारिता पदाधिकारी ऋषि कुमार रौनक ने बताया कि यहां 10 पैक्सों में चुनाव होना है। इसलिए मात्र एक पैक्स तेलिया पहाड़ में धान की अधिप्राप्ति की जाएगी। अन्य पैक्सों के किसानों को टैग किया जाएगा।

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किसानों की राय

स्थानीय व्यापारी एक हजार रुपये क्विंटल धान खरीद रहे हैं। उसके हाथ ही धान बेचने को विवश हैं। रबी फसलों के बीज, खाद एवं जोताई के पैसे के लिए हम लोगों के पास फसल बेचने के अलावा अन्य उपाय नहीं है।

राजेन्द्र यादव, मोहनपुर, उत्तरी कोझी

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किसान सस्ते दर पर बिचौलिये के हाथ धान बेचने को विवश हैं। पैक्स किसानों का शोषक बन कर बैठा है। पदाधिकारी भी किसानों के हित की बात नहीं सोचते हैं।

रणधीर महाराणा, तककीपुर, कैथा

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खेती पर ही निर्भर किसानों के लिए धान बेचना विवशता है। बिचौलिये इसका जम कर फायदा उठा रहे हैं। पैक्स और बिचौलियों के गठबंधन में किसान पिस रहे हैं। हमारी आवाज कोई सुनता है नहीं है।

सुनील यादव ,माणिक पथड्डा

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पैक्स में धान की खरीदारी शुरू हो गयी होती तो कीमत 18 सौ रुपये क्विंटल मिलता। दूसरी तरफ मात्र एक हजार रुपये क्विंटल बेचने के लिए व्यापारी की खुशामद करना लाचारी है। किसानों को देखने वाला कोई नहीं है।

रामानंद यादव, छपरियाडीह, फुल्लीडुमर

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