खोदाई के बाद भी चौरा के खेतों में पानी नहीं

बांका। प्रखंड क्षेत्र के चौरा गांव की सिचाई नाली का गत वर्ष मनरेगा योजना से खोदाई कराया गया।

By JagranEdited By: Publish:Mon, 28 Sep 2020 09:44 PM (IST) Updated:Mon, 28 Sep 2020 09:44 PM (IST)
खोदाई के बाद भी चौरा के खेतों में पानी नहीं
खोदाई के बाद भी चौरा के खेतों में पानी नहीं

बांका। प्रखंड क्षेत्र के चौरा गांव की सिचाई नाली का गत वर्ष मनरेगा योजना से खोदाई कराया गया। पर नदी में नाली की खोदाई नहीं होने कारण खेतों तक पानी नहीं पहुंच सकी। स्थानीय विधायक या सांसद का भी इस तरफ कोई ध्यान आकृष्ट नहीं है। वहां की खेती अब वर्षाधारित हो गई है। वर्षा होने पर ही धान फसल की पैदावार संभव है।

रबी फसल के लिए बोरिग मशीन ही एकमात्र विकल्प बच गया है। करीब तीन सौ एकड़ भूमि बंजर होने की कागार पर पहुंच गया है। उक्त गांव के किसानों के लिए सिचाई व्यवस्था बदुआ नदी से रेत खोदकर निकली नाली ही एकमात्र थी। बदुआ जलाशय का नहर केनाल भी वहां तक नहीं पहुंची है। एक दशक पूर्व से बालू खनन ने बनाया गया नाला को लील लिया। संवेदक द्वारा नियमों को ताक पर रखकर बालू उठाव किया गया। इसके बाद स्थानीय माफिया का आतंक शुरु हुआ। स्थानीय प्रशासन की लापरवाही के कारण दिनरात अवैध रुप से बालू का उत्खनन किया गया। नाली तक को खोदकर बालू उठा लिया गया। जिस कारण करीब पांच सौ फीट तक नाली का अस्तित्व मिट गया। किसान गणेश सिंह, मनोज सिंह, शिवनंदन सिंह, तारणी मंडल, संजय पासवान, भूषण यादव आदि ने बताया खेती अब बोरिग मशीन और वर्षाधारित हो गयी है। नदी में सिचाई नाली ध्वस्त हो गई। पांच लाख रुपये की राशि से मनरेगा योजना द्वारा नाली खोदाई किया गया। नदी में नाली खोदाई नहीं होने कारण खेतों तक पानी नहीं पहुंच सका। किसानों ने इस ओर ध्यान देने की मांग की है।

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