सरकारी नहीं पर कालाबाजारी दर पर मिल रहा डीएपी

संवाद सूत्र बांका किसानों को मछली उत्पादन में आत्मनिर्भर बनाने के लिए सरकार कई योजनाएं चलाई जा रही है। नई तकनीक से मछली पालन करने के लिए जिले के किसानों को प्रशिक्षण दे रही है। ताकि किसान बांका में भी नई तकनीक से मछली का उत्पादन कर सके।

By JagranEdited By: Publish:Mon, 29 Nov 2021 09:41 PM (IST) Updated:Mon, 29 Nov 2021 09:41 PM (IST)
सरकारी नहीं पर कालाबाजारी दर पर मिल रहा डीएपी
सरकारी नहीं पर कालाबाजारी दर पर मिल रहा डीएपी

परेशानी

- बीएओ ने कहा कि इसकी जांच की जाएगी

- किसानों को हर हाल में डीएपी कराया जाएगा उपलब्ध

संवाद सूत्र, बेलहर (बांका): प्रखंड क्षेत्र में डीएपी खाद की कालाबाजारी चरम पर है। सरकारी दर पर ढूंढने से भी अनुज्ञप्ति प्राप्त दुकानों में डीएपी किसानों को नहीं मिल रही है। अगर किसी दुकान में मिल भी रहा है तो उसकी कीमत 16 सौ रुपये प्रति बोरी वसूल की जा रही है।

ग्रामीण क्षेत्रों में 17 सौ रुपये तक में डीएपी खाद उपलब्ध हो रहा है। अनुज्ञप्तिधारी दुकानों में सिर्फ एनपीके खाद की बोरी ही रखा मिलता है। आश्चर्य इस बात की है कि बेलहर और साहबगंज के दुकानदार विभाग द्वारा डीएपी खाद मुहैया नहीं कराए जाने की बात कहते हैं, लेकिन उनके पिछले दरवाजे से प्रति बोरी 16 सौ रुपये भुगतान करने पर उपलब्ध हो जाता है। बताया जाता है कि इफको कंपनी का 18-46 डीएपी की खेप ट्रकों से नहीं ट्रैक्टर से लोडकर मंगाया जा रहा है। जिसकी बिक्री 16 सौ रुपये तक में की जा रही है। पारस डीएपी को ढूंढने से भी बाजार में नहीं मिल रहा है। ग्रामीण क्षेत्रों के कालाबाजारियों के पास भी इफको 18-46 खाद उपलब्ध है। जो बड़ा सवाल खड़ा कर रहा है। कारण लाइसेंसी विक्रेता विभाग द्वारा डीएपी उपलब्ध नहीं कराने की बात कहते हैं। जबकि कालाबाजारियों के पास वही डीएपी धड़ल्ले से उपलब्ध हो रहा है। विभागीय कर्मियों की भी भूमिका संदेह के घेरे में हैं। जिनके द्वारा कालाबाजारियों पर अंकुश नहीं लगाया जा रहा है। बीएओ रजनीश कुमार गिरापु ने बताया मामले की जांच की जाएगी। किसानों को डीएपी उपलब्ध कराने का हरसंभव प्रयास किया जाएगा।

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