घोड़बहियार गांव में सर्पदंश से पिता-पुत्र की मौत

बांका। थाना क्षेत्र के घोड़बहियार गांव में सर्पदंश से बुधवार रात हुई पिता-पुत्र की मौत हो गई। मृतक शिवजी तुरी (35) और शिवजी तुरी के पुत्र बंटी कुमार (10) की मौत के बाद ग्रामीण गमगीन हैं। स्वजनों में कोहराम मचा हुआ है। पड़ोस के चित्रसेन बारा दुधनियां भीमाडीह तरैया बीरगांव मटिहानी मंझली साहबगंज बकरार आदि गांव के ग्रामीण भी गुरुवार सुबह मृतक के घर पर पहुंचे।

By JagranEdited By: Publish:Thu, 16 Sep 2021 10:39 PM (IST) Updated:Thu, 16 Sep 2021 10:39 PM (IST)
घोड़बहियार गांव में सर्पदंश से पिता-पुत्र की मौत
घोड़बहियार गांव में सर्पदंश से पिता-पुत्र की मौत

बांका। थाना क्षेत्र के घोड़बहियार गांव में सर्पदंश से बुधवार रात हुई पिता-पुत्र की मौत हो गई। मृतक शिवजी तुरी (35) और शिवजी तुरी के पुत्र बंटी कुमार (10) की मौत के बाद ग्रामीण गमगीन हैं। स्वजनों में कोहराम मचा हुआ है। पड़ोस के चित्रसेन, बारा, दुधनियां, भीमाडीह, तरैया, बीरगांव, मटिहानी, मंझली, साहबगंज, बकरार आदि गांव के ग्रामीण भी गुरुवार सुबह मृतक के घर पर पहुंचे। सभी लोग मृत पिता-पुत्र के शव को देखने बाद घटना को विस्तृत से जानने में लगे थे। मृतक के घर की आर्थिक स्थिति भी बदतर देख अफसोस कर रहे थे।

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दो बच्चों की परवरिश की चिता

मृत शिवजी तुरी के तीन बच्चे थे। जिसमें बड़ा मृतक बंटी कुमार, छोटा विक्रम कुमार (6) और पुत्री वैष्णवी कुमारी (3) वर्ष शामिल हैं। पिता और बड़े बेटे की मौत बाद अब दो बच्चे रह गए हैं। मृतक शिवजी मेहनत मजदूरी करता था। उसके मजदूरी पर ही पूरा परिवार आश्रित था। मृतक बंटी चौथी कक्षा में पढ़ाई कर रहा था। करीब आठ बजे रात को खाना खाकर सभी स्वजन सो गए। इसी क्रम में एक ही सांप ने पहले पुत्र और फिर पिता को डंसकर मौत के घाट उतार दिया। घटना के बाद मृतक पत्नी गुड़िया देवी बेसुध हो गई हैं। अब दो मासूम बच्चे सहित खुद के परवरिश की चिता सता रही है।

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एक साथ हुआ दोनों शव का अंतिम संस्कार:

दोनों पिता-पुत्र का अंतिम संस्कार सुल्तानगंज के गंगा घाट पर एक साथ किया गया। अब बचे एकमात्र पुत्र विक्रम कुमार ने दोनों को मुखाग्नि दी। इसे देख अंतिम संस्कार में गए ग्रामीणों, स्वजनों, रिश्तेदारों के साथ साथ वहां अन्यत्र जगहों से आए लोगों की भी आंखें भर आई।

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कोट

अस्पताल में एक दर्जन स्नेक वैक्सीन मौजूद है। सांप काटने के बाद पीड़ितों को झाड़फूंक के चक्कर में नहीं आकर अस्पताल आने की जरुरत है। अस्पताल आने पर सही इलाज होने से पीड़ितों को बचाया जा सकता है।

डा. अनिल कुमार, प्रभारी, सीएससी, बेलहर

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