स्वदेशी हैं तो चायनीज का क्या काम
बांका। चीनी सामान के बहिष्कार का सिलसिला शुरू होने के बाद स्वदेशी सामान को प्राथमिकता मिलना शुरू हो गया है।
बांका। चीनी सामान के बहिष्कार का सिलसिला शुरू होने के बाद स्वदेशी सामान को प्राथमिकता मिलना शुरू हो गया है। पहले आइटी विभाग ने 59 मोबाइल एप पर प्रतिबंध लगाकर इसकी शुरूआत कर दी है। इसके बाद लोग भी इसके समर्थन में आने लगे हैं। हर तबके के लोगों ने इसे सही ठहराते हुए बाजार में उपलब्ध चीनी सामान का तिरस्कार कर स्वदेशी सामान को अपना प्रारंभ कर दिया है।
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लोगों की राय
चायनीज सामान का हर किसी को बहिष्कार करना चाहिए। पर्व त्योहार के समय में मिट्टी के दीया से रोशनी से अलग वातावरण का निर्माण होकर महौल स्वच्छ होता है। कुछ सालों से चायनीज झालरों का प्रचलन अधिक हो गया था। पर अब लोग इससे पीछा छुडा रहे हैं। इससे रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे।
संजीव चौधरी, पुजारी
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कुछ सालों से पूजा पाठ में भी मिट्टी के बर्तन का चलन कम हुआ है। खासकर दीपावली के समय में वर्षो पुरानी दीया जलाने का रिवाज भी उठ गया था। चायनीज बल्ब के इस दौर ने कुम्भकारों को रोजी रोटी को आफत कर दिया था। पर चीनी सामान के तिरस्कार करने के बाद कुछ राहत मिलने की संभवना बढ़ी है।
शिवनारायण पंडित, कुम्भकार
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सरकार का साथ देकर हर युवा वर्ग को चीनी सामान का बहिष्कार करना चाहिए। इसके साथ हर विदेशी सामानों पर प्रतिबंध लगाने की आवश्यकता है। ताकि स्वदेशी से देश की शक्ति मजबूत हो सके।
मंजीत कुमार सिंह, युवा
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हर खुशी के मौसम में दीया जलाकर खुशी मनाने की परंपरा कुछ अलग है। पर कुछ सालों से यह छीन गया था। सरकार के साथ देश के हर नागरिक ने विदेशी समान को अपनाने से इंकार कर रहा है। जिसके बाद निश्चित रूप देश के लोग स्वदेशी सामानों का इस्तेमाल कर देश को स्वावलंबी बनाएगें।
भानू प्रिया, युवती