बरसात से पहले जेठ में ही भर गया जलाशयों का पेट

बांका। बैसाख और जेठ जेहन में आते ही तेज धूप और गर्मी का ख्याल मन में आता है। मगर इस बार का जेठ जिला को पानी-पानी कर गया है। जेठ की बारिश से ही जिला के अधिकांश जलाशय लबालब हो गया है।

By JagranEdited By: Publish:Sun, 20 Jun 2021 09:44 PM (IST) Updated:Sun, 20 Jun 2021 09:44 PM (IST)
बरसात से पहले जेठ में ही भर गया जलाशयों का पेट
बरसात से पहले जेठ में ही भर गया जलाशयों का पेट

बांका। बैसाख और जेठ जेहन में आते ही तेज धूप और गर्मी का ख्याल मन में आता है। मगर इस बार का जेठ जिला को पानी-पानी कर गया है। जेठ की बारिश से ही जिला के अधिकांश जलाशय लबालब हो गया है। सबसे बड़ा चांदन डैम अब बस तीन फीट खाली बचा है। सोमवार रात किसी भी वक्त से यह स्पील करने लगेगा।

इसी तरह दूसरा बड़ा बदुआ डैम का भी पेट भर गया है। एक से दो दिनों में किसी भी वक्त इसके स्पील-वे से भी पानी उतरने लगेगा है। ओढ़नी डैम का स्पील-वे 405.5 फीट पर है। इसमें में भी अब दो-तीन फीट ही जगह खाली है। एक दिन की बारिश से यह भर जाएगा। अब प्रशासन जेठ में ही सबसे बड़े चांदन डैम के भरने से परेशान है। इसका बहाव तेज होने पर बांका में बने डायवर्जन पर खतरा मंडराने लगेगा। इस तीन के अलावा बिलासी, बेलहरना, मध्यगिरी आदि छोटे जलाशयों में भी लगातार तेज बारिश से पानी भर गया है। दरअसल, बरसात का पहला बड़ा महीना जुलाई माना जाता है। जून तक गर्मी का समय होता है। लेकिन जून में ही डैम भर जाने की बड़ी वजह जलाशयों में गाद भरना है। निर्माण के बाद से ही इसकी गाद उड़ाई का कोई काम नहीं हुआ है। यानी चार-पांच दशक से बरसात का पानी अपने साथ ढोकर लाए मिट्टी और बालू को डैम में जमा कर रहा है। इसकी उड़ाई नहीं होने से सभी डैमों का दो से तीन हिस्सा गाद भर गया है। इससे पानी स्टोरेज की क्षमता लगातार कम होती जा रही है। नतीजा, खेती के समय थोड़ा पानी मिलने के बाद ही डैमों का पेट खाली हो जाता है।

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चांदन से गाद उड़ाई की योजना एक दशक से ठंडे बस्ते में

एक दशक पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के आर्थिक सलाहकार एससी झा ने बांका पहुंच बांका के चांदन जलाशय से गाद निकासी का प्रयास शुरू करने की बात कही थी। इसके लिए वे दो से तीन बार बांका आए। पर काम आगे नहीं बढ़ा। पिछले तीन साल से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार खुद डैम पहुंच इसके गाद उड़ाई की घोषणा कर चुके हैं। मगर इसकी निकासी की जटिल प्रक्रिया हर बार काम में बाधक बन रही है।

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20 जून तक डैम में जमा पानी व क्षमता

चांदन- 495 फीट-1.1 लाख एसी फीट

ओढ़नी-401 फीट- 33.5 हजार एसी फीट

बिलासी- 297 फीट-23.4 हजार एसी फीट

बदुआ- 418 फीट- 89 हजार एसी फीट

बेलहरना-452 फीट- 11.8 एसपी फीट

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कोट

मई के बाद जून में भी तेज बारिश हो रही है। इससे अधिकांश डैम भर गया है। चांदन डैम सोमवार शाम बाद ही किसी वक्त स्पील कर पानी नदी में गिर सकता है। डैम भरा रहने से किसानों को खरीफ सीजन में समय पर पानी मिलने लगेगा।

विनोद कुमार, कार्यपालक अभियंता, सिचाई प्रमंडल

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