अब पराली से बनेगा पशुओं के लिए चारा
संवाद सूत्र बांका हार्वेस्टर से धान कटाई के बाद पराली किसानों के लिए परेशानी का सबब बनते जा रहा है। पराली को किसान अपने खेतों में ही जला देते थे। इससे वायु प्रदूषण के साथ ही मिट्टी की उर्वरा शक्ति भी कम होती है। पराली प्रबंधन किसानों के लिए सबसे बड़ी समस्या हो गई है।
- केविके द्वारा स्ट्रा बेलर मशीन का उपरामां गांव में कराया गया प्रत्यक्षण
- पशु विज्ञानी किसानों को यूरिया उपचारित करने के लिए कर रहे प्रोत्साहित
फोटो: 30बीएन 2
संवाद सूत्र, बांका: हार्वेस्टर से धान कटाई के बाद पराली किसानों के लिए परेशानी का सबब बनते जा रहा है। पराली को किसान अपने खेतों में ही जला देते थे। इससे वायु प्रदूषण के साथ ही मिट्टी की उर्वरा शक्ति भी कम होती है। पराली प्रबंधन किसानों के लिए सबसे बड़ी समस्या हो गई है। ऐसे में किसानों को इस समस्या से निजात दिलाने के लिए केविके द्वारा पराली प्रबंधन की मशीन स्ट्रा बेलर का उपरामा गांव में मंगलवार को प्रत्यक्षण किया गया। साथ ही किसानों को इसके प्रयोग करने के लिए प्रोत्साहित किया गया।
इस दौरान केविके के वरीय विज्ञानी एवं प्रधान डा. मुनेश्वर प्रसाद ने बताया कि हारबेस्टर से धान कटाई के बाद खेतों में पड़ा पराली किसानों के लिए सबसे बड़ी समस्या बन गई है। स्ट्रा बेलर से किसानों को पराली से प्रबंधन मिलने के साथ ही इस पराली का उपयोग किसान पशुओं के चारा के रूप में कर सकते है। इसका प्रत्यक्षण मंगलवार को मौसम अनुकूल कृषि कार्य के तहत उपरामा गांव में किया गया। केविके के पशु विज्ञानी डा. धर्मेंद्र कुमार द्वारा किसानों को पराली प्रबंधन के लिए स्ट्रा बेलर से बंडल बनाने के समय ही यूरिया उपचारित करने के लिए किसानों को प्रोत्साहित किया जा रहा है। इसमें चार किलो यूरिया 30 लीटर पानी में घोल कर पराली पर छिड़काव किया जाता है। इसके बाद मशीन द्वारा दस किलो का बंडल बनता है। कहा कि यूरिया उपचारित करने के बाद इसे घूप में नहीं रखें। इसे 21 दिनों के बाद पशुओं को खिलाएं।
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पशुओं के लिए तैयार होता है बेहतर चारा
यूरिया उपचारित करने से पराली की पौष्टिकता बढ़ जाती है और यह सुपाच्य हो जाता है। इसमें प्रोटीन की मात्रा तीन गुनी तक बढ़ जाती है। इसे संग्रह करने की की क्षमता भी बढ़ जाती है। सबसे बड़ी बात यह है कि इसमें कीड़ा और चूहा भी नहीं लगेगा। इससे यह सुरक्षित रहेगा।