चिलमील गांव के बासिदों की आस, पानी का हो निकास
बांका। हर बार वायदे हुए और चेहरे बदलते रहे लेकिन इसका परिणाम सीफर आया। गांव की तस्वीरें गवाही दे रही है कि यहां जिम्मेदारों ने विकास के लिए कभी संजीदगी नहीं दिखाइ आज भी यहां के हालात बद से बदतर हैं।
बांका। हर बार वायदे हुए और चेहरे बदलते रहे, लेकिन इसका परिणाम सीफर आया। गांव की तस्वीरें गवाही दे रही है कि यहां जिम्मेदारों ने विकास के लिए कभी संजीदगी नहीं दिखाइ, आज भी यहां के हालात बद से बदतर हैं।
यह स्थिति है बाराहाट प्रखंड क्षेत्र के चिलमिल गांव की। जहां विकास की दरकार है। यहां नाले की सुविधा नहीं होने से सालों भर सड़कों पर पानी भरा रहता है। ग्रामीणों के लिए ये समस्या किसी मुसिबत से कम नहीं है। लाख दावे के बाद आज भी ये गलियां गंदगी का अंबार बनी हुई है। जो गंभीर बीमारियों को दावत दे रही है। इस गंभीर समस्या का निदान निकालना तो दूर विभाग व जनप्रतिनिधि इसका संज्ञान लेने तक नहीं पहुंच रहे हैं। पंचायत चुनाव के आते ही फिर एक बार क्षेत्र में ये मुद्दा गरमा गया है। इसको लेकर मतदाताओं ने भी अपनी कमर कस ली है। उनका कहना है की विकास करने वाले उम्मीदवार को ही वे अपना वोट देंगे। ग्रामीणों की मानें तो यहां के इलाकों में पानी की निकासी बड़ी समस्या है। जिससे बारिश के दिनों में ही नहीं आए दिन यहां की सड़कें जल जमाव से आवाद रहती है। जिसका खामियाजा क्षेत्रिय लोगों को भुगतना पड़ रहा है। ग्रामीण इदरिश, सरिता देवी, गौतम यादव, चंदन यादव व सुलेखा देवी ने कहा कि पानी निकासी की समस्या का निस्तारण क्षेत्र के प्रगति का अहम याम है। गांवों में चारों ओर गंदगी व जल जमाव का साम्राज्य फैला है। जिससे आम लोगों को कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। गांव को बेहतर बनाये जाने की जरूरत है। कोरोना काल से जूझ रहे लोगों को इससे बचाव के लिए स्वच्छता जरूर ही है।