साथ उठने-बैठने से नहीं होता है एड्स

बांका। विश्व एड्स दिवस मंगलवार को मनाया जाएगा। इस वर्ष का थीम एचआइवी/एड्स महामारी समाप्त करना लचीलापन और प्रभाव रखा गया है।

By JagranEdited By: Publish:Mon, 30 Nov 2020 10:10 PM (IST) Updated:Mon, 30 Nov 2020 10:10 PM (IST)
साथ उठने-बैठने से नहीं होता है एड्स
साथ उठने-बैठने से नहीं होता है एड्स

बांका। विश्व एड्स दिवस मंगलवार को मनाया जाएगा। इस वर्ष का थीम एचआइवी/एड्स महामारी समाप्त करना, लचीलापन और प्रभाव रखा गया है। एचआइवी के प्रति लोगों को जागरूक करने के उद्देश्य से ही एड्स दिवस मनाया जाता है।

हर साल इसे लेकर स्वास्थ्य विभाग और तमाम संगठन एचआइवी महामारी की ओर हम सभी को ध्यान दिलाता है। एचआइवी के प्रति जागरुकता बढ़ाने के लिए प्रयास किया जाता है। इसे रोकने के लिए कदम उठाया जाता है, लेकिन सबसे बड़ी समस्या भ्रम को लेकर है।

शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के प्रभारी डॉ. सुनील कुमार चौधरी कहते हैं कि कई लोग सोचते हैं कि एड्स रोगी के साथ उठने-बैठने से यह रोग फैलता है जो कि पूरी तरह से गलत है। यह बीमारी छुआछूत की नहीं है। इसलिए घर या ऑफिस में साथ-साथ रहने से, हाथ मिलाने से, कमोड, फोन या किसी के कपड़े से या फिर मच्छर के काटने से नहीं होता है। इसलिए एड्स के मरीजों से किसी तरह का भेदभाव नहीं करें और अगर किसी में एड्स के लक्षण दिखाई पड़े तो तत्काल इलाज शुरू कराएं। किसी तरह का संकोच नहीं करें।

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रोग प्रतिरोधक क्षमता को करता है कमजोर

चिकित्सक ने कहा कि ह्यूमन इम्यूनो डीफिसिएंसी वायरस यानी एचआइवी इंफेक्शन से होने वाली गंभीर बीमारी है। इसे आम बोलचाल में एड्स यानी एक्वायर्ड इम्यून डीफिसिएंसी सिड्रोम के नाम से जाना जाता है। इसमें वायरस व्यक्ति के शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता (इम्यून सिस्टम) पर हमला करता है, जिसकी वजह से शरीर सामान्य बीमारियों से लड़ने में सक्षम नहीं रह पाता है।

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असुरक्षित यौन संबंध से फैलता है एड्स:

डॉ. चौधरी कहते हैं कि आमतौर पर असुरक्षित यौन संबंध बनाने से लोग एड्स की चपेट में आते हैं। समलैंगिकता की वजह से भी लोग एड्स से पीड़ित हो जाते हैं। इसके अलावा इंफेक्शन से भी एड्स फैलता है। इसलिए एड्स के प्रति लोगों को जागरूक करने की जरूरत है। लोगों को कंडोम का इस्तेमाल करने या फिर असुरक्षित यौन संबंध नहीं बनाने के प्रति समझाकर ही इस पर काबू किया जा सकता है।

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इससे बचें--

-ब्लड-ट्रांसफ्यूजन के दौरान शरीर में एचआइवी संक्रमित रक्त के चढ़ाए जाने से।

-एचआइवी पॉजिटिव व्यक्ति पर इस्तेमाल की गई इंजेक्शन की सुई का इस्तेमाल करने से।

-एचआइवी पॉजिटिव महिला की गर्भावस्था या प्रसव के दौरान या फिर स्तनपान कराने से भी नवजात शिशु को यह मर्ज हो सकता है।

-इसके अलावा रक्त या शरीर के अन्य द्रव्यों जैसे वीर्य के एक दूसरे में मिल जाने से, दूसरे लोगों के ब्लेड, उस्तरा और टूथब्रश का इस्तेमाल करने से भी बचना चाहिए।

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ये हैं लक्षण-

-एड्स होने पर मरीज का वजन अचानक कम होने लगता और लंबे समय तक बुखार हो सकता है।

-काफी समय तक डायरिया बना रह सकता है।

-शरीर में गिल्टियों का बढ़ जाना व जीभ पर भी काफी जख्म आदि हो सकते हैं।

-जब इस तरह के लक्षण दिखे तो तुरंत अपनी जांच करा लें।

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एड्स से संबंधित जांच

-एलिजा टेस्ट

-वेस्टर्न ब्लॉट टेस्ट

-एचआइवी पी-24 ऐंटीजेन

(पीसीआर)

-सीडी-4 काउंट

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