बुद्ध की प्रतिमा को हनुमान मानते हैं ग्रामीण, लगाते हैं घी-सिंदूर
समय की रेत पर कुछ घटनाएं ऐसी अमिट छाप छोड़ जाती है जिसे हम इतिहास करते हैं।
ओबरा (औरंगाबाद)। समय की रेत पर कुछ घटनाएं ऐसी अमिट छाप छोड़ जाती है, जिसे हम इतिहास कहते हैं। इतिहास कभी मिटता नहीं। ऐसे ही कुछ इतिहास ओबरा प्रखंड के मनोरा गांव में हैं। यहां भगवान बुद्ध की मूर्ति को ग्रामीण हनुमान मानते हैं। उनकी पूजा करते हैं। घी-सिदूर का लेप लगाते हैं। भगवान बुद्ध की प्रतिमा अत्यंत प्राचीन है।
ग्रामीण सिद्धेश्वर शर्मा एवं विकास शंकर बताते हैं कि यहां भगवान बुद्ध की करीब छह फिट ऊंची प्रतिमा स्थित है। मूर्ति को देखकर लगता है कि यह अत्यंत पुरानी है। बताया जाता है कि मूर्ति कला के लिए स्वर्ण काल रहे मौर्य से लेकर हर्षवर्धन के शासन काल में 648 के आसपास बुद्ध की प्रतिमा स्थापित किए जाने की संभावना बनती है। वैसे इस संबंध में प्रमाणित कुछ भी नहीं है। परंतु लोग बताते हैं कि यहां भ्रमण करते हुए विदेशियों का दल पहुंचा था, तो कोरिया के दल ने बताया था कि मूर्ति दो हजार वर्ष पुरानी है। पर्यटकों के दल ने इसे मौर्य से हर्ष काल के बीच का बताया था। वैसे भी हर्षवर्धन का इस क्षेत्र से जुड़ाव रहा है। कहा यह भी जाता है कि भगवान बुद्ध सारनाथ से बोधगया इसी रास्ते गए थे। जिस कारण उनकी यहां बड़ी सी मूर्ति स्थापित है। अंग्रेजी हुकूमत के दौरान मनोरा बड़ा परगना था और इस परगना में सैंकड़ों गांव आते थे। वैसे यहां एक मजार भी है जहां सभी वर्ग के लोग चादर चढ़ाने एवं पूजा करने पहुंचते हैं। मजार पर पूरे वर्ष श्रद्धालुओं की भीड़ लगी रहती है। -----------------------
- ओबरा प्रखंड के मनोरा गांव में छिपे हैं इतिहास के कई रहस्य
- गांव में स्थित मजार पर हर वर्ग के लोगों की लगती है भीड़