औरंगाबाद में दर्दनाक सड़क हादसाः अज्ञात वाहन से कुचलकर मां-बेटे की मौत, एक घायल
बिहार के औरंगाबाद में दर्दनाक हादसे में मां-बेटे की मौत हो गई। स्कूटी सवार दोनों को अज्ञात वाहन ने कुचल दिया।
औरंगाबाद, जेएनएन। सड़क दुर्घटना में अज्ञात वाहन से कुचलकर मां-बेटे की मौत हो गई। वहीं मृतका का छोटा बेटा गंभीर रूप से घायल हो गया। घटना अरवल जिले की सीमा ठाकुर बिगहा के पास की है। घटनास्थल अरवल जिला का कलेर थाना का इलाका पड़ता है। इस घटना में दाउदनगर थाना क्षेत्र के तरारी टोला कुर्बान बिगहा गांव निवासी 65 वर्षीया हीरामणि देवी की मौत घटनास्थल पर ही हो गई, जबकि मृतका के दो बेटे केदार प्रजापति एवं ब्रजेश कुमार गंभीर रूप से घायल हो गए।
पटना पहुंचने से पहले तोड़ा दम
केदार प्रजापति को कलेर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के चिकित्सकों ने प्राथमिक उपचार के बाद बेहतर इलाज के लिए बड़े चिकित्सालय में पटना रेफर कर दिया। जिसकी पीएमसीएच पटना पहुंचते-पहुंचते मौत हो गई। जबकि संवाद प्रेषण तक ब्रजेश का इलाज कलेर स्वास्थ्य केंद्र में चल रहा था। बताया जाता है कि ब्रजेश दिव्यांग है और दाउदनगर के एक निजी शिक्षण संस्थान में कार्यरत है। दिव्यांगों के लिए बनी स्कूटी पर सवार होकर वह अपने भाई और मां के साथ अरवल जिला के किसी गांव में स्थित अपने ननिहाल जा रहा था।
घटना से बाद स्वजनों का रो-रोकर बुरा हाल
इसी दौरान किसी अज्ञात वाहन की चपेट में आ गया एवं घटनास्थल पर ही हीरामणि देवी की मौत हो गई। जबकि दोनों भाई घायल हो गए। कलेर थाना की पुलिस ने पहुंचकर दोनों घायलों को अस्पताल पहुंचाया। बताया गया कि केदार प्रजापति की मौत पटना पहुंचते ही हो गई। इधर घटना के बाद घर में मातमी सन्नाटा पसर गया है।
बच्ची की बात के बाद जमकर बवाल
गोह थाना के उपहारा रोड़ में वात्सल्य विहार पब्लिक स्कूल के पास बीते शनिवार को हुए अज्ञात वाहन से एक बच्ची के मौत के बाद पोस्टमॉर्टम में देरी होने पर रविवार की सुबह डीएम के खिलाफ आक्रोश पनप गया। आक्रोशितों ने लगभग 11 बजे से गोह जगतपति चौक पर आगजनी के साथ जाम करते हुए प्रशासन के खिलाफ जमकर प्रदर्शन किया। इस दौरान डीएम को बर्खास्त करो समेत सरकार विरोधी नारे भी लगाए। सूचना पर पहुंचे सीओ अवधेश कुमार नेपाली व थानाध्यक्ष मनोज कुमार ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराते हुए घटना स्थल पर जमे रहे। सड़क जाम कर रहे लोग डीएम को जामस्थल पर बुलाने की मांग कर रहे थे। आक्रोशितों का कहना था कि जिस स्थल पर दुर्घटना हुई है, वहां डेंजर जोन घोषित होना चाहिए था। जब स्वजन बच्ची को पोस्टमॉर्टम को लेकर लगातार अधिकारी से आग्रह करते रहे, बावजूद किसी के कानों तक जू नहीं रेंगी। अंतत: दूसरे दिन 20 घंटे बाद पोस्टमॉर्टम कराया गया।