दिहाड़ी मजदूरी करने वाले तीन दंपतियों के बेटों ने किया कमाल

औरंगाबाद। दाउदनगर शहर के निवासी दिहाड़ी मजदूरी करने वाले तीन दंपतियों के बेटों ने कमाल कर दिखाया। पैसे के अभाव में ना पढ़ने की बात कहने वाले बच्चों के लिए इन तीनों लड़कों ने प्रेरणा भरी कहानी लिखी।

By JagranEdited By: Publish:Sat, 16 Oct 2021 11:32 PM (IST) Updated:Sat, 16 Oct 2021 11:32 PM (IST)
दिहाड़ी मजदूरी करने वाले तीन दंपतियों के बेटों ने किया कमाल
दिहाड़ी मजदूरी करने वाले तीन दंपतियों के बेटों ने किया कमाल

औरंगाबाद। दाउदनगर शहर के निवासी दिहाड़ी मजदूरी करने वाले तीन दंपतियों के बेटों ने कमाल कर दिखाया। पैसे के अभाव में ना पढ़ने की बात कहने वाले बच्चों के लिए इन तीनों लड़कों ने प्रेरणा भरी कहानी लिखी।

सामान्य में 20,519वीं और अनुसूचित जाति में 619वीं रैंक हासिल करने वाले राहुल कुमार के पिता बसंत तांती और मां सावित्री देवी सड़क निर्माण कार्य में उत्तर प्रदेश में दिहाड़ी मजदूर हैं। पटना एक साल रहकर तैयारी की, लेकिन लाकडाउन लगने के कारण दाउदनगर आ गए। यहां से आनलाइन पढ़ाई कर सफलता हासिल की। तकनीक के माध्यम से देश की सेवा करना इनका लक्ष्य है। बताया कि उनके माता-पिता की संयुक्त आमदनी औसतन 15 से 16000 रुपये महीने से अधिक नहीं है। इनके साथ एक छोटा भाई और तीन बहनें हैं।

जेईई एडवांस में सामान्य में 29,439वीं और अनुसूचित जाति में 1,039वीं रैंक लाने वाले रवि कुमार के पिता संदीप प्रसाद और मां एतवरिया देवी दैनिक मजदूरी करते हैं। ब्राह्मण टोली निवासी रवि पटना गए थे, लेकिन लाकडाउन में घर वापस आ गए। घर पर ही रह कर उन्होंने तैयारी की। महत्वपूर्ण है कि पिछले वर्ष उनके बड़े भाई मुन्ना कुमार ने भी सफलता हासिल की थी। आइआइटी कानपुर से इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिग वे कर रहे हैं।

इसी तरह वार्ड संख्या 22 निवासी पारस प्रसाद और सुमित्रा देवी उत्तर प्रदेश में दिहाड़ी मजदूरी का काम करते हैं। इनके पुत्र सोनू कुमार ने अनुसूचित जाति में 2,562वीं रैंक हासिल। इनका लक्ष्य मल्टीनेशनल कंपनी में काम करना है। कहा कि पैसा कोई समस्या नहीं है। लक्ष्य हासिल करने के लिए समर्पण की अधिक जरूरत पड़ती है। सोनू के एक भाई निशांत कुमार एनआइटी सूरतकल से पढ़ने के बाद एक मल्टीनेशनल कंपनी पुणे में काम कर रहे हैं। दूसरे भाई रोहित कुमार पीएचईडी में कनीय अभियंता के पद पर कार्यरत हैं।

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बड़े के बाद छोटे भाई ने भी पाई सफलता

दाउदनगर पटवा टोली निवासी मुरारी प्रसाद और कमला देवी के पुत्र मुकेश कुमार ने भी आईआईटी जेईई एडवांस में सफलता हासिल की है। सामान्य में 22,519वीं और अनुसूचित जाति में 693वीं रैंक हासिल की। बताया कि कंप्यूटर साइंस से पढ़ाई करने में रुचि है, लेकिन अंतिम लक्ष्य यूपीएससी में सफलता हासिल करना है। इसकी तैयारी कर रहे हैं। इस परीक्षा में उनका लक्ष्य टॉप 10 में स्थान हासिल करना था। उनके पिता अपनी जाति के लोगों का विवाह कराने का काम करते हैं, जबकि मां गृहिणी हैं। बड़े भाई नीरज कुमार भी जेईई एडवासं में सफल होने के बाद बेंगलुरु में रहकर जॉब करते हैं। बड़े भाई की तरह मुकेश ने भी पटना में रहकर तैयारी की है।

------------------- लड़खड़ाते आत्मविश्वास के बावजूद अमौना के बाबू ने रचा इतिहास

प्रखंड के बाबू अमौना के निवासी वेंकटेश कुमार और गोरडीहां की निवासी रीता देवी के पुत्र हर्षवर्धन ने लड़खड़ाते हुए आत्मविश्वास के बावजूद जेईई एडवांस में अखिल भारतीय स्तर पर सामान्य श्रेणी में 254 वीं रैंक हासिल की है। वर्तमान में हर्षवर्धन के पिता और मां पटना में आरपीएस मोड़ के पास रहते हैं। पिता आरपीएफ में इंस्पेक्टर के पद पर दानापुर में कार्यरत हैं, जबकि मां गृहिणी हैं। हर्षवर्धन ने बताया कि कंप्यूटर साइंस से तकनीक के क्षेत्र में कार्य करना चाहते हैं, ताकि देश तकनीकी रूप से और मजबूत हो। उन्होंने बताया कि कई बार अपेक्षा के अनुरूप कम अंक प्राप्त होने पर उनका आत्मविश्वास डगमगाता था। कोचिग या जेईई मेंस की परीक्षा में कम अंक आने पर उनका आत्मविश्वास लड़खड़ाया। इसके लिए उसने अपने शिक्षकों से बात की तो शिक्षकों ने उत्साहवर्धन किया। बताया कि एनटीएसई और केवीपीवाई जैसे राष्ट्रीय स्तर के प्रतिष्ठित परीक्षाओं में उन्होंने सफलता हासिल की है। बेहतर प्रदर्शन के कारण कोचिग में उनका फी नहीं लगा। निश्शुल्क पढ़ाई आवासीय सुविधा के साथ उन्हें उपलब्ध कराई गई और आज उन्होंने सबका मान बढ़ा दिया।

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