कोरोना की तीसरी लहर से निपटने को रफीगंज सीएचसी में मुकम्मल तैयारी

रफीगंज (औरंगाबाद)। सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र रफीगंज में कोरोना की तीसरी लहर के अंदेशे को लेकर रफीगंज रेफल अस्पताल पूरी तरह से तैयार हो गया है।

By JagranEdited By: Publish:Mon, 02 Aug 2021 11:06 PM (IST) Updated:Mon, 02 Aug 2021 11:06 PM (IST)
कोरोना की तीसरी लहर से निपटने को रफीगंज सीएचसी में मुकम्मल तैयारी
कोरोना की तीसरी लहर से निपटने को रफीगंज सीएचसी में मुकम्मल तैयारी

रफीगंज (औरंगाबाद)। सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, रफीगंज में कोरोना की तीसरी लहर के अंदेशे को देखकर मुकम्मल तैयारी शुरू कर दी है, लेकिन एक बाधा अभी भी इसमें रोड़ा बन सकती है। पहले जहां अस्पताल में 18 चिकित्सक के पद सृजित हैं। उसमें महज मात्र चार चिकित्सक ही वर्तमान में पदस्थापित है।

बता दें कि शुरुआत में पहले लोगों को कोविड-19 की जांच के लिए जिला मुख्यालय औरंगाबाद जाना पड़ता था, लेकिन अब स्वास्थ्य केंद्र में ही जांच की सुविधा उपलब्ध हो गई है। केंद्र पर जांच भी काफी तेजी से हो रहा है। जबकि फरवरी से वैक्सीनेशन का काम भी शुरू हुआ है। अब तक प्रखंड में लगभग 50 हजार लोगों को वैक्सीन लगाई जा चुकी है। कोरोना संक्रमण को देखते हुए पहले से और अधिक छह बेड की व्यवस्था की गई है। अब कुल बेडों की संख्या 12 हो गई है, जबकि दो बेड महिला वार्ड के लिए अलग से व्यवस्था की गई है। क्या कहते हैं प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी :

प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डा. अरविद कुमार सिंह ने बताया कि कोरोना की तीसरी लहर की संभावना को देखते हुए अतिरिक्त दवा, जांच के किट की व्यवस्था एवं प्रतिदिन उससे बचाव के लिए जागरूकता अभियान भी चलाया जा रहा है। अबतक आक्सीजन सिलेंडर भराने के लिए औरंगाबाद जाना पड़ता है, लेकिन सांसद सुशील कुमार सिंह ने सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र परिसर में ही आक्सीजन प्लांट लगाने का आश्वासन दिया है। इसके लिए केंद्र परिसर में जगह भी चिह्नित कर ली गई है। जल्द ही काम शुरू होने वाला है। इसी उम्मीद पर कोरोना की तीसरी लहर पर काबू पाने को तैयार है। उन्होंने आम जनता से भी अपील की कि कोरोना से बचाव के लिए मास्क का प्रयोग करें। दो गज की दूरी बनाकर रखे।

सदर अस्पताल में नहीं है आइसोलेशन वार्ड

औरंगाबाद। जिले का एक मात्र सदर अस्पताल में आइसोलेशन वार्ड नहीं है। आइसोलेशन वार्ड नहीं होने के कारण जले हुए मरीज, डायरिया मरीज एवं अन्य आवश्यक मरीजों को सामान्य वार्ड में रखकर इलाज किया जा जाता है। इससे मरीज एवं अन्य भर्ती मरीजों को इन्फेक्शन का खतरा बना रहता है। हर अस्पताल में अलग आइसोलेशन वार्ड होना चाहिए परंतु ऐसा नहीं है। वार्ड में के बाहर आइसोलेशन वार्ड लिखा हुआ है परंतु उसमें पुरुष वार्ड महिला वार्ड चल रहा है। बता दें कि सरकार बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराने की बात कर रही है परंतु ऐसा धरातल पर दिखाई नहीं दे रहा है। आइसोलेशन वार्ड की कमी के कारण सभी तरह की मरीजों को एक ही वार्ड में रखा जाता है तो हमेशा इंफेक्शन होने का खतरा बना रहता है। इस पर न तो विभाग ध्यान दे रहा है और न ही प्रशासन। अधिकारियों की टीम प्रतिदिन इसका निरीक्षण करती है, परंतु इस पर किसी का ध्यान नहीं जाता है। इससे साफ स्पष्ट हो रहा है कि निरीक्षण कर के खानापूर्ति किया जा रहा है। सिविल सर्जन डा. कुमार वीरेंद्र ने बताया कि अलग बेहतर आइसोलेशन वार्ड बनाने की तैयारी चल रही है। मरीजों को इसका लाभ मिलेगा। मरीजों का हर सम्भव बेहतर इलाज किया जा रहा है।

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